कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भले ही कर्नाटक की राजनीति में उलझे हुए हों लेकिन उनकी नजर राजस्थान पर भी है। खरगे राजस्थान की हर एक खबर पर कड़ी नजर रख रहे हैं। इस बीच उन्होंने कहा है कि कर्नाटक में सरकार के गठन के बाद जल्द ही वे अब राजस्थान में चल रही गहलोत और सचिन की अनबन और विवाद पर फैसला लेंगे। एआईसीसी के राज्य सह प्रभारी काजी निजामुद्दीन ने मंगलवार को कहा कि गहलोत सरकार से नाराज सचिन पायलट ने धमकी दी थी और कहा था कि इस माह के अंत तक उनकी मांगों पर कार्रवाई नहीं हुई तो वे राज्यव्यापी आंदोलन करेंगे।
पायलट- गहलोत का पुराना विवाद-क्या सुलझा लेंगे खरगे
पायलट खेमे और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खेमे के बीच चल रहा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। पिछली भाजपा सरकार के दौरान भ्रष्टाचार पर शासन की कथित निष्क्रियता के खिलाफ सचिन पायलट की एक दिन के उपवास के बाद मामले ने विवादित मोड़ ले लिया था। इसके बाद उन्होंने अजमेर से जयपुर तक पांच दिवसीय और 125 किलोमीटर की 'जन संघर्ष यात्रा' की, जिसका समापन सोमवार को हुआ।
उन्होंने राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) को भंग करने और इसके पुनर्गठन, सरकारी नौकरी परीक्षा पेपर लीक मामलों से प्रभावित लोगों के लिए मुआवजे और पिछली वसुंधरा राजे सरकार के खिलाफ लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।
निजामुद्दीन ने कहा कि “सचिन (पायलट) जी कांग्रेस के एक मजबूत स्तंभ हैं। हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे होने वाली सभी गतिविधियों पर कड़ी नजर रख रहे हैं और पूरा मामला उनके संज्ञान में है। गहलोत और सचिन के बीच विवाद बहुत दिनों से चल रहा है और कर्नाटक में स्थिति को संभालने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष खरगे इस बारे में निर्णय लेंगे, जहां पार्टी सरकार गठन के तौर-तरीकों पर काम कर रही है।
कांग्रेस का पूरा ध्यान अब 2024 के चुनाव पर है
पायलट द्वारा उठाई गई मांगों के बारे में पूछे जाने पर निजामुद्दीन ने कहा, "ये चीजें होती रहती हैं। अगर कोई 'सूक्ष्म' मुद्दा है, तो सरकार निश्चित रूप से उस पर काम करेगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष ने मामले का संज्ञान लिया है और केवल खरगे या उनके द्वारा अधिकृत कोई नेता ही इस मुद्दे पर बोल सकता है। उन्होंने कहा कि यह चुनावी साल है और वे फीडबैक लेंगे कि पार्टी की जीत कैसे सुनिश्चित की जाए।
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