बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन हो चुका है। बावजूद इसके हिंसा कई दिनों तक जारी रहा। इस दौरान हिंदू व अल्पसंख्यकों को बांग्लादेश में निशाना बनाया गया। इस बीच भारी संख्या में लोग भारत-बांग्लादेश सीमा (आईबीबी) पहुंच रहे हैं ताकि उन्हें भारत में स्थान मिल सके। इस बीच मोदी सरकार ने अहम फैसला किया है। मोदी सरकार ने भारत-बांग्लादेश सीमा (आईबीबी) पर मौजूदा स्थिति की निगरानी के लिए एक समिति का गठन किया है। यह समिति बांग्लादेश में अपने समकक्ष अधिकारियों के साथ बातचीत कर वहां रहने वाले भारतीय नागरिकों, हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी।
आईबीबी पर निगरानी के लिए बनी समिति
बता दें कि इस समिति की अध्यक्षता बीएसएफ के पूर्वी कमान के एडीजी करेंगे। इसे लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर एक पोस्ट शेयर किया। उन्होंने ट्वीट कर कहा, "बांग्लादेश में चल रही स्थिति के मद्देनजर मोदी सरकार ने भारत-बांग्लादेश सीमा (आईबीबी) पर मौजूदा स्थिति की निगरानी के लिए एक समिति का गठन किया है।" बता दें कि नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री मोहम्मद यूनुस को बांग्लादेश का अंतरिम प्रधानमंत्री बनाया गया है। यूनुस की आयु 84 वर्ष है। यूनुस को राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में पद की शपथ दिलाई।
मोहम्मद यूनुस बने अंतरिम प्रधानमंत्री
बता दें कि साल 2006 में नोबेल पुरस्कार पाने वाले यूनुस को मंगलवार को राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन द्वारा संसद भंग किए जाने के बाद अंतरिम सरकार का प्रमुख नियुक्त किया गया था। इससे पहले आरक्षण प्रणाली के खिलाफ व्यापक प्रदर्शनों के बीच शेख हसीना सोमवार को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर देश छोड़कर भारत आ गई थीं। शेख हसीना के जाने के बाद यूनुस बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के प्रमुख बन गए हैं। यूनुस को सबसे गरीब लोगों का बैंकर भी कहा जाता है। इसे लेकर उन्होंने आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा था। एक बार शेख हसीना ने यूनुस को खून चूसने वाला भी कहा था। बता दें कि वह शेख हसीना के कटु आलोचक व धुर विरोधी माने जाते हैं।
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