कर्नाटका के बेलगावी शहर में मंगलवार को तहसीलदार कार्यालय में द्वितीय श्रेणी सहायक के रूप में काम करने वाले 35 वर्षीय सरकारी कर्मचारी का शव मिलने से हडकंप मच गया। प्रारंभिक जांच के अनुसार, पुलिस को संदेह है कि उसने आत्महत्या की है। मृतक की पहचान रुद्रन्ना यादवन्नावर के रूप में हुई है। घटना का पता मंगलवार सुबह तब चला जब सफाई कर्मचारी कार्यालय पहुंचे। पुलिस के मताबिक, रुद्रन्ना ने सोशल मीडिया और तहसीलदार कार्यालय के कर्मचारियों के व्हाट्सएप ग्रुप में एक मैसेज लिखा, "वह 4 नवंबर, 2024 को शाम 7.30 बजे के आसपास आत्महत्या कर लेगा। उसने अपनी मौत के लिए तीन लोगों को जिम्मेदार ठहराया है, जिनमें तहसीलदार बसवराज नागराल, कार्यालय कर्मचारी अशोक कब्बालीगर और सोमू शामिल हैं।
मंत्री लक्ष्मी हेब्बालकर के पीए पर आरोप
रिपोर्ट के अनुसार, सोमू महिला एवं बाल विकास तथा विकलांग एवं वरिष्ठ नागरिक सशक्तिकरण मंत्री लक्ष्मी हेब्बालकर का निजी सहायक है। पुलिस अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं कर पाई है कि नोट में जिस सोमू का जिक्र किया गया है, वह वही व्यक्ति है या नहीं। पुलिस सूत्रों के मुताबिक हाल ही में रुद्रन्ना का ट्रांसफर बगल के इलाके सवदत्ती में कर दिया गया था। चूंकि रुद्रन्ना की पत्नी भी इसी दफ्तर में काम करती है, इसलिए उसने इस ट्रांसफर को रुकवाने की कोशिश की थी। सूत्रों के मुताबिक रुद्रन्ना ने अपना ट्रांसफर रुकवाने के लिए तहसीलदार को कथित तौर पर 2 लाख रुपये की रिश्वत दी। वहीं मंत्री लक्ष्मी हेब्बालकर के PA सोमू को 50,000 रुपये दिये। रिश्वत देने के बाद भी उसका तबादला हो गया, जिससे परेशान होकर उसने दफ्तर में ही फांसी लगा ली।
भाजपा ने खोला मोर्चा
बता दें कि विपक्षी दल BJP ने इसे बड़ा मुद्दा बना लिया है। BJP का आरोप है कि कांग्रेस राज में करप्शन की सारी सीमाएं टूट चुकी हैं। CM से लेकर मंत्री तक सभी भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। BJP ने बाल और महिला विकास मंत्री लक्ष्मी हेब्बालकर के तत्काल इस्तीफे की मांग की है। केंद्रीय मंत्री शोभा करण्दलाजे ने इस घटना को लेकर लक्ष्मी हेब्बलाकर पर निशाना सधा। उन्होंने कहा कि लक्ष्मी हेब्बलाकर ने बेलगावी और बेंगलुरु के अलावा उडुपी (जिस जिले की वो प्रभारी मंत्री हैं) में भी कमीशन की दुकान खोल रखी है। रुद्रन्ना ने तहसीलदार ऑफिस में आत्महत्या की है। उन्होंने जान देने से पहले लक्ष्मी हेब्बलाकर के PA का नाम लिया है, ऐसा कब हो सकता है, उसी हालात में हो सकता है जब मंत्री की ओर से दबाव डाला जाए तभी पीए का नाम सामने आता है। उन्होंने कहा कि इस मामले की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए और सभी आरोपियों को गिरफ्तार किया जाना चाहिए
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