जमानत याचिका पर सुनवाई करने वाले जजों को CJI ने दी खास सलाह, कहा- 'इसलिए सुप्रीम कोर्ट पहुंच रहे ज्यादा केस'
सुप्रीम कोर्ट में हर रोज नए केस आते हैं। इनमें से कई केस जमानत से भी जुड़े हुए होते हैं। भारत के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने एक कार्यक्रम में जजों को जमानत वाले केसों को लेकर खास सलाह दी है।
भारत के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने निचली कोर्ट में जमानत पर हो रही सुनवाई को लेकर चिंता जाहिर की है। सीजेआई चंद्रचूड़ ने रविवार को कहा कि महत्वपूर्ण आपराधिक मामलों में संदेह की गुंजाइश रहने की स्थिति में अधीनस्थ अदालत के न्यायाधीश जमानत देकर कोई जोखिम नहीं उठाना चाहते हैं। सीजेआई ने प्रत्येक मामले की बारीकियों पर गौर करने के लिए सामान्य समझ और विवेक का इस्तेमाल करने की आवश्यकता पर बल दिया।
सुप्रीम कोर्ट का करना पड़ता है रुख
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, 'जिन लोगों को निचली अदालतों से जमानत मिलनी चाहिए, उन्हें वहां जमानत नहीं मिल रही है। इसलिए उन लोगों को हाई कोर्ट का रुख करना पड़ता है।' उन्होंने कहा, 'जिन लोगों को हाई कोर्ट से जमानत मिलनी चाहिए, जरूरी नहीं कि उन्हें जमानत मिल जाए और इस कारण उन्हें सुप्रीम कोर्ट का रुख करना पड़ता है। यह देरी उन लोगों की समस्या को और बढ़ा देती है जो मनमाने तरीके से गिरफ्तारियों का सामना कर रहे हैं।'
बेंगलुरु के एक कार्यक्रम में बोल रहे थे CJI
सीजेआई चंद्रचूड़ बेंगलुरु में तुलनात्मक समानता और भेदभाव-रोधी बर्कले केंद्र के 11वें वार्षिक सम्मेलन में बोल रहे थे। इस दौरान वह अपने भाषण के अंत में एक सवाल का जवाब दे रहे थे। सीजेआई से मनमाने ढंग से की गई गिरफ्तारियों के बारे में पूछा गया था।
जब CJI से पूछा गया ये सवाल
प्रश्न पूछने वाले व्यक्ति ने कहा, 'हम ऐसे समाज में रह रहे हैं, जहां पहले कृत्य किया जाता है और फिर बाद में माफी मांगी जाती है। यह बात विशेष रूप से उन लोक प्राधिकारियों के लिए सच हो गई है जो राजनीतिक रूप से प्रेरित होकर कार्यकर्ताओं, शिक्षाविदों, पत्रकारों और यहां तक कि विपक्षी दलों के मुख्यमंत्रियों समेत नेताओं को हिरासत में ले रहे हैं।'सवाल पूछने वाले व्यक्ति ने कहा कि ये सभी कृत्य इस पूर्ण विश्वास के साथ किए जाते हैं कि न्याय बहुत धीमी गति से मिलता है।
जमानत देकर जज नहीं उठाना चाहते जोखिम
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने इसके जवाब में कहा कि सुप्रीम कोर्ट लगातार यह बताने की कोशिश कर रहा है कि इसका एक कारण देश में संस्थाओं के प्रति अंतर्निहित अविश्वास भी है। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यवश, आज समस्या यह है कि हम अधीनस्थ अदालतों के न्यायाधीशों द्वारा दी गई किसी भी राहत को संदेह की दृष्टि से देखते हैं। इसका मतलब यह है कि अधीनस्थ अदालत के न्यायाधीश महत्वपूर्ण मामलों में जमानत देकर कोई जोखिम नहीं उठाना चाहते हैं।
ज्यादातर मामले सुप्रीम कोर्ट में आने ही नहीं चाहिए- CJI
सीजेआई ने कहा कि न्यायाधीशों को प्रत्येक मामले की बारीकियों और सूक्ष्मताओं को देखना होगा। उन्होंने कहा कि ज्यादातर मामले सुप्रीम कोर्ट में आने ही नहीं चाहिए। डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, 'हम जमानत को प्राथमिकता इसलिए दे रहे हैं ताकि पूरे देश में यह संदेश जाए कि निर्णय लेने की प्रक्रिया के सबसे प्रारंभिक स्तर पर मौजूद लोगों (न्यायिक अधिकारियों) को यह विचार किए बिना अपना कर्तव्य निभाना चाहिए कि उन्हें कोई जोखिम नहीं है।'
भाषा के इनपुट के साथ