नई दिल्ली: भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ अक्सर चर्चा में रहते हैं। उनकी अध्यक्षता वाली एक पीठ हर दिन औसतन लगभग 100 मामलों की सुनवाई करती है जो सुप्रीम कोर्ट की पीठों के सामने फौरन सूचीबद्ध करने की मांग करते हैं। मुख्य न्यायाधीश की अदालत अक्सर वकीलों से भरी रहती है, जो अपने मामले की तत्काल सुनवाई की मांग करते हैं। मामलों के उल्लेख के दौरान, मुख्य न्यायाधीश का वकीलों के साथ बातचीत करते समय बहुत नरम लहजा होता है और अदालती कार्यवाही के दौरान शायद ही कभी अपना आपा खोते हैं। हालांकि, मंगलवार को वह भड़क गए और एक वकील को चेतावनी दी कि मेरे अधिकार के साथ खिलवाड़ मत करो।
हुआ क्या था?
दरअसल वकील ने एक मामले का उल्लेख किया था और मामले की जल्द सुनवाई के लिए अदालत से अनुरोध किया था, लेकिन जब पीठ ने उन्हें बताया कि उनका मामला 17 अप्रैल को सूचीबद्ध होगा, तो उन्होंने मामले को दूसरी पीठ के समक्ष उल्लेख करने की स्वतंत्रता मांगी। वकील ने कहा, यदि अनुमति हो तो मैं किसी अन्य पीठ के समक्ष इसका उल्लेख कर सकता हूं।
मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ, जिसमें जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला भी शामिल हैं, उन्होंने वकील से कहा कि वह उनके साथ चालबाजी न करें और कहा कि आप इसे पहले की तारीख के लिए यहां और फिर कहीं और उल्लेख नहीं कर सकते।
वकील समझ गया कि उसकी दलीलों ने मुख्य न्यायाधीश को नाराज कर दिया है और खेद व्यक्त किया और कहा कि उसे अपनी दलीलों के लिए माफ किया जाना चाहिए। मुख्य न्यायाधीश ने वकील से कहा, हां, क्षमा कर रहे हैं। लेकिन मेरे अधिकार के साथ खिलवाड़ न करें। (इनपुट:आईएएनएस)
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