श्रीनगर : कश्मीर में आज से चिल्लेकलां यानी तेज सर्दी के 40 दिनों की शुरुआत हुई हैं। पहले दिन से ही श्रीनगर से लेकर लेह तक तापमान 0 से माइनस 19.8 डिग्री तक नीचे चला गया। जिसके चलते डल झील का अंदरूनी हिस्से में ज़िंदगी की रफ़्तार पर ब्रेक लग चुकी है। यहा झील का तकरीबन आधा हिस्सा जम चुका हैं। झील में चलने वाले शिकारे पर 2 से 3 इंच मोटी बर्फ की परत बिछी हुई हैं जिसके कारण शिकारा चलाना मुश्किल हो गया हैं। झील से बहर निकलने के लिए पहले बर्फ की मोटी परत को काटना पड़ता हैं ,तब ही शिकारा आगे बढ़ पा रहा हैं।
नलों का पानी भी जमा
कश्मीर में कई स्थानों पर पिछली रात इस सीजन की अब तक की सबसे सर्द रात रही तथा यहां डल झील समेत घाटी के जलाशयों तथा यहां तक की नलों का पानी भी जम गया । उनके अनुसार श्रीनगर में पिछली रात न्यूनतम तापमान शून्य के नीचे 4.2 डिग्री सेल्सियस रहा। उत्तरी कश्मीर के बारामूला जिले में स्कीइंग के लिए प्रसिद्ध पर्यटक स्थल गुलमर्ग में पारा शून्य से 4. 6 डिग्री नीचे चला गया। कुपवाड़ा, काजीगुंड और कोकरनाग में न्यूनतम तापमान क्रमश: शून्य से 4.4 डिग्री, 4.2 डिग्री और 2.4 डिग्री सेल्सियस कम रहा।
मौसम विज्ञान विभाग ने जम्मू कश्मीर में 24 दिसंबर तक मौसम शुष्क रहने का पूर्वानुमान लगाया है। उसके अनुसार क्रिसमस के आसपास कश्मीर के कुछ हिस्सों में हल्की वर्षा या हिमपात होने की संभावना है।
क्या है चिल्लई-कलां
चिल्लई-कलां 40 दिनों का एक दौर होता है जब कश्मीर घाटी शीतलहर की चपेट में आ जाती है और तापमान काफी घट जाता है। इस अवधि में हिमपात की प्रबल संभावना रहती है , खासकर ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भारी बर्फबारी होती है। चिल्लई- कलां का समापन 30 जनवरी को होगा। उसके बाद भी कश्मीर घाटी में शीतलहर बनी रहती है और फिर 20 दिनों का ‘चिल्लई-खुर्द’ और 10 दिनों का ‘चिल्लई बच्चा’ का दौर रहता है।
इनपुट-भाषा
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