Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक डॉ.कृष्णमूर्ति बांधी ने नशे के लिए शराब के विकल्प के तौर पर भांग और गांजा के उपयोग को बढ़ावा दिये जाने का सुझाव दिया है। उन्होंने दावा किया है कि भांग और गांजा का नशा करने वाले व्यक्ति बलात्कार, हत्या और डकैती जैसे अपराध नहीं के बराबर करते हैं। विधायक ने राज्य के गौरेला-पेंड्रा-मारवाही जिले में शनिवार को एक कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं से बातचीत में यह बात कही। वहीं, राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस ने उनके इस बयान पर सवाल किया है कि एक जन प्रतिनिधि नशे को बढ़ावा कैसे दे सकता है। बांधी, मस्तूरी विधानसभा सीट से विधायक हैं।
अधिकारियों ने बताया कि NDPS एक्ट के तहत गांजा की बिक्री और उपभोग पर प्रतिबंध है, जबकि भांग को कानून के तहत अनुमति प्राप्त है। राज्य में मद्य निषेध के कांग्रेस के चुनावी वादे के बारे में एक सवाल का जवाब देते हुए बांधी ने कहा, ‘‘हम राज्य विधानसभा में पहले भी यह मुद्दा उठा चुके हैं और 27 जुलाई को इस विषय को फिर से उठाएंगे, जब (कांग्रेस सरकार के खिलाफ विधानसभा में) विपक्षी भारतीय जनता पार्टी द्वारा लाये गये अविश्वास प्रस्ताव पर उस दिन चर्चा कराए जाने का कार्यक्रम है।’’
ऐसे नशे करने वाले कभी बलात्कार, हत्या या डकैती नहीं करते
विधायक ने कहा, ‘‘यह मेरा व्यक्तिगत विचार है और पूर्व में विधानसभा में इसकी चर्चा कर चुका हूं। मैंने कहा था कि बलात्कार, हत्या और झगड़ा की वजह कहीं न कहीं शराब है, लेकिन मैंने (सदन में) सवाल किया था कि क्या भांग का सेवन करने वाले किसी व्यक्ति ने कभी बलात्कार, हत्या या डकैती की है? शराब को प्रतिबंधित करने के लिए एक कमेटी गठित की गई है। ’’ विधायक ने कहा कि कमेटी को यह विचार करना चाहिए कि हम भांग और गांजा की ओर कैसे बढ़ सकते हैं। यदि लोग नशा करना चाहते हैं तो उन्हें उस तरह की चीजें परोसी जानी चाहिए, जिनका सेवन करने के बाद हत्या, बलात्कार या अन्य अपराध नहीं किये जाते हैं। यह मेरा व्यक्तिगत विचार है।’’
कांग्रेस ने भाजपा विधायक के बयान पर की निंदा
विधायक के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कांग्रेस की बिलासपुर जिला इकाई के प्रवक्ता अभय नारायण राय ने रविवार को कहा कि तीन बार विधायक चुने गये और राज्य के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री बांधी नशे को बढ़ावा देने का ऐसा बयान कैसे दे सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इस तरह के विचार एक सभ्य समाज में स्वीकार्य नहीं हैं।’
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