मध्य प्रदेश से अलग होकर राज्य बना छत्तीसगढ़ अपनी सुंदरता और खनिज संपदा के लिए जाना जाता है। लेकिन नक्सली यहां के लिए वो काला टीका हैं जो किसी खुबसूरत चेहरे पर किसी धब्बे से कम नहीं है। यहां आए दिन नक्सली हमलों की खबरे सामने आती रहती हैं लेकिन कभी-कभी यह हमले ऐसे होते हैं जिसके दर्द कई वर्षों तक आम नागरिकों को सहना पड़ता है। आज बुधवार को DRG के जवानों पर हुए हमला भी उन्हीने में से एक है। इस हमले में अभी तक 10 जवानों के शहीद होने की खबर है। ऐसा नहीं है कि ऐसा दर्दनाक हमला यह पहला हो। यहां ऐसे ही खौफनाक मंजर पहले भी घटित हो चुके हैं।
साल 2013 में था हुआ झीरम घाटी हमला
25 मई 2013 का दिन छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि पूरा देश कभी भी नहीं भूल सकता है। इस दिन नक्सलियों ने झिरम घाटी में घात लगाकर IED से ब्लास्ट किया। इस हमले का शिकार हुए लोग छत्तीसगढ़ की राजनीति के कई बड़े चेहरे और जवान शामिल थे। कहा जाता है कि इस हमले ने कांग्रेस के नेताओं की एक फ़ौज ही खत्म कर दी थी। इस नक्सली हमले में कांग्रेस के दिग्गज नेता विद्या चरण शुक्ला, नंद कुमार पटेल, महेंद्र कर्मा जैसे नेताओं को छत्तीसगढ़ ने खो दिया था।
इससे पहले भी जवानों को बनाया गया निशाना
वहीं इससे पहले 11 मार्च 2014 को कांकेर के टहकवाडा में नक्सलियों ने घाट लगाकर जवानों पर हमला किया था। इस हमले में 16 जवान शहीद हो गए थे। इसके बाद 25 अप्रैल, 2017 सीआरपीएफ के 25 जवान सुकमा बुरकापाल में शहीद हो गए थे। 21 मार्च 2020 चिंतागुफा में हुए नक्सली हमले में 17 जवान शहीद हुए थे। वहीं आज में हुए दंतेवाडा नक्सली हमले में अभी तक 11 जवानों के शहीद होने की खबर है।
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