रायपुर: छत्तीसगढ़ और ओडिशा में पिछले एक दशक में सीमा सुरक्षा बल के 38 जवान शहीद हुए हैं। नक्सल प्रभावित इन दोनों राज्यों में नक्सल विरोधी अभियान के दौरान बीएसएफ के इन जवानों ने शहादत दी है। राजधानी रायपुर में सोमवार को एक संवाददाता सम्मेलन में बीएसएफ के अतिरिक्त महानिदेशक राजविंदर सिंह भट्टी ने बताया कि पिछले एक दशक में छत्तीसगढ़ और ओडिशा में नक्सलियों के खिलाफ अभियान में तैनात बीएसएफ के 38 जवान शहीद हुए हैं।
भट्टी ने बताया कि बीएसएफ को छत्तीसगढ़ तथा ओडिशा में माओवादी विरोधी अभियान के लिए 2009-10 में तैनात किया गया जिसका मुख्य उद्देश्य राज्य पुलिस को नक्सल अभियान में सहायता करना, स्थानीय नागरिकों के मन में सुरक्षा की भावना को सुदृढ़ करना तथा नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्यों में सहयोग करना है। अधिकारी ने बताया कि इन दस वर्षों में बीएसएफ ने 1650 माओवादियों को गिरफ्तार किया है तथा 18 माओवादियों को मार गिराया है।
वहीं 891 माओवादियों को आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर किया है। उन्होंने बताया कि इस दौरान बीएसएफ ने 1473 हथियार, 958 बारूदी सुरंग और 3,176 किलोग्राम बारूद जब्त किया है। पिछले वर्ष 2021 में बीएसएफ ने 15 हथियार और 54 बारूदी सुरंग जब्त किए। भट्टी ने बताया कि बीएसएफ पिछले एक दशक से अधिक समय से छत्तीसगढ़ और ओडिशा में पुलिस-प्रशासन को नक्सल समस्या से निपटने में मदद कर रहा है।
वर्तमान में बीएसएफ छत्तीसगढ़ के कांकेर, नारायणपुर तथा कोंडागांव और ओडिशा के मलकानगिरी तथा कोरापुट जिलों में तैनात है। उन्होंने बताया कि 2009-10 में बीएसएफ ने छत्तीसगढ़ तथा ओडिशा में 41 कंपनी ऑपरेटिंग बेस (सीओबी) से शुरुआत की थी जो बढ़कर 108 तक पहुंच गई है। पिछले दो साल में छत्तीसगढ़ में आठ नए सीओबी तथा ओडिशा में छह नए सीओबी की स्थापना की गई है।
अधिकारी ने बताया कि बीएसएफ ने नक्सलियों के घोर विरोध और खतरे के बावजूद, छत्तीसगढ़ तथा ओडिशा में 196 मोबाइल फोन टॉवर्स के निर्माण में सुरक्षा सहयोग दिया है। इनमें से 91 मोबाइल फोन टावर छत्तीगढ़ के कांकेर तथा नारायणपुर जिले में लगे हैं। वहीं 105 मोबाइल फोन टावर ओडिशा के मलकानगिरी और कोरापुट जिले में लगाए गए हैं।
इनपुट-भाषा
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