PM Narendra Modi Birthday: प्रधानमंत्री के गिफ्ट वाले चीतों को किया जाएगा 1 महीने क्वारंटाइन, शिकार से लेकर सुरक्षा तक की उत्तम व्यवस्था, मिलेगी उनको ढेर सारी सुविधाएं
PM Narendra Modi Birthday: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मदिन 17 सितंबर को है। जन्मदिन के मौके पर हमेशा पीएम मोदी भारतवासियों को कुछ ना कुछ तोहफा देते हैं।
Highlights
- 1000 से ज्यादा कुत्तों को एंटी रेबीज टीके लगा दिए गए हैं
- भारत की धरती से चीतों की खात्मा 1948 में हो गई थी
- चीता बिल्लियों के ही परिवार का सदस्य है
PM Narendra Modi Birthday: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मदिन 17 सितंबर को है। जन्मदिन के मौके पर हमेशा पीएम मोदी भारतवासियों को कुछ ना कुछ तोहफा देते हैं। इस बार भी अपने जन्मदिन को खास बनाने के लिए प्रधानमंत्री ने अफ्रीका के नामीबिया से लाए जा रहे 8 चीतों को मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में छोड़ेंगे।
चीतों को लेकर क्या है पूरी प्लानिंग
अब आपको कूनो नेशनल पार्क में दुनिया का सबसे तेज जानवर दिखाई देगा। भारत की धरती से यह जानवर विलुप्त हो चुका था लेकिन प्रधानमंत्री के प्रयासों के कारण फिर से भारत की धरती पर चीतों का राज होने वाला है। कूनो नेशनल पार्क मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से करीब 400 किलोमीटर दूरी पर मौजूद है। प्रधानमंत्री इसी मौके पर वह मध्य प्रदेश जाएंगे। शुक्रवार को नामीबिया से चीतों को लेकर स्पेशल कार्गो विमान भारत के लिए उड़ान भरेगा और 17 सितंबर को 5 नर और 3 मादा चीते लेकर यह विमान जयपुर एयरपोर्ट पर लैंड करेगा। इसके बाद दो हेलीकॉप्टर यहां से इन चीतों को लेकर कूनो पालपुर के लिए उड़ान भरेगा। जयपुर से यहां तक पहुंचने में लगभग 42 मिनट लग जाएगा।
प्रधानमंत्री कैसे पहुंचेंगे?
पीएम मोदी इंडियन एयर फोर्स के हेलीकॉप्टर से सीधे कूनो नेशनल पार्क पहुंचेंगे। हेलीकॉप्टर को उतरने के लिए 10 हेलीपैड श्योंपुर पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा बनाया गया है। इनमें से 5 कूनो नेशनल पार्क के अंदर हैं और 5 हेलीपैड कराहल में बनाए गए हैं। मध्य प्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक जे चौहान के अनुसार, पार्क के अंदर बनाए गए 5 वर्ग किलोमीटर के विशेष वाले गेट से नंबर-3 से चीता को अंदर छोड़ेंगे। इस संबंध में आगे जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि चीतों को एक महीने तक कोक्वारंटाइन रखा जाएगा।
कूनो पार्क में कैसे होगा चीतों का रिहैबिलिटेशन
आपको बता दें कि चीतों को 2 से 3 महीने तक 5 वर्ग किलोमीटर के संरक्षित एरिया में रखा जाएगा। इस क्षेत्र को 8 फीट ऊंची फेसिंग से पूरी तरह से घेर दिया गया है और इसके 3 लेयर भी बनाए गए हैं। लेयर संबंध में बात करें तो बाहरी लेयर में सोलर से संचालित करंट छोड़ा गया है जो बाहरी जानवरों को इससे दूर रखेगी। जो एरिया संरक्षित रखा गया है, उनमें 8 बाड़े बनाए गए हैं जिनमें चीतों को अलग अलग रखा जाएगा। वही हर छोटे-बड़े की निगरानी के लिए 4 वॉच टावर और चार पावरफुल कैमरे भी सेट किए गए हैं। हर वॉच टावर 2 किलोमीटर एरिया की निगरानी करने की क्षमता रखता है। वही कैमरा 6 किलोमीटर तक पूरी अस्पष्ट दृश्य दिखाएगा।
शिकार से लेकर सुरक्षा तक
चीतों के भोजन के लिए पहले से ही खास प्रबंध कर दिए गए हैं। उन्हें शिकार के लिए कहीं भटकना नहीं पड़ेगा। जो एरिया संरक्षित किया गया है, उनमें पहले से करीब 200 सांभर, चीतल और अन्य जानवर पर लाकर बसा दिए गए हैं। वर्तमान में इनकी संख्या तेजी से बढ़ रही है जिससे चीतों को शिकार का भरपूर मौका मिलेगा। वही पार्क के चारों तरफ 5 किलोमीटर के दायरे में आने वाले गांव में 1000 से ज्यादा कुत्तों को एंटी रेबीज टीके लगा दिए गए हैं इससे चीते को रैबिज से शिकार होने की संभावना कम हो जाएगी। वन अधिकारियों का कहना है कि अगर कोई पागल कुत्ता किसी तरह से पार्क में प्रवेश कर जाता है और वहां मौजूद जानवरों को काट लिया तो वे रेबीज का शिकार हो सकते हैं। इन्हीं को ध्यान में रखते हुए आसपास के इलाकों में रहने वाले कुत्तों को एंटी रेबीज टीके लगाए गए।
भारत की धरती से हो गए थे खत्म
भारत की धरती से चीतों की खात्मा 1948 में ही हो गई थी। साल 1948 में छत्तीसगढ़ के कोरिया स्थित जंगल में एक मृत चीता का शव मिला था। भारत सरकार ने आधिकारिक तौर पर साल 1952 में चीतों को भारत से विलुप्त घोषित कर दिया था। इसके बाद साल 2009 से अफ्रीका से भारत में चीते लाने की पहल शुरू की गई। हालांकि कांग्रेस की लचर व्यवस्था ने इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया। अब मोदी सरकार ने इस पहल मैं काफी दिलचस्पी दिखाई है और फिर से भारत में चीते दिखाई देंगे।
क्या है चीतों का इतिहास
वैज्ञानिकों के अनुसार चीते सबसे पहले हिमयुग में साउथ अफ्रीका में मायोसिन युग में आज से करीब 2.6 करोड़ वर्ष पहले देखे गए। इसके बाद धीरे-धीरे अफ्रीकी महाद्वीप से एशियाई महाद्वीप में इनका प्रवास शुरू हुआ। करीब 1.1 करोड़ वर्ष पहले एशिया में प्लायोसिन युग में इनकी मौजूदगी पाई गई। वैज्ञानिकों के अनुसार बिल्ली, चीता, बाग, तेंदुआ और शेर एक ही प्रजाति के प्राणी हैं। यानि चीता बिल्लियों के ही परिवार का सदस्य है।
जिनमें समय-समय पर परिवर्तन होता रहा। जलवायु परिवर्तन के साथ ये सभी प्राणी अपने ठिकाने, जीने के तौर-तरीके बदलते रहे। साथ ही इनमें शारीरिक और आनुवांशिक परिवर्तन भी होते रहे। दुनियां में चीते की कई प्रजातियां है। वहीं बड़ी बिल्ली परिवार से संबंध रखने वाले कुछ चीतों को पांच करोड़ साल पहले व्यूत्पन्न माना जाता है। यानि जो किसी दूसरी जातियों से पैदा हुए।