A
Hindi News भारत राष्ट्रीय चौधरी चरण सिंह: किसानों के लिए फूंकी हर एक सांस; देश के सबसे बड़े किसान नेता के बारे में जानें सबकुछ

चौधरी चरण सिंह: किसानों के लिए फूंकी हर एक सांस; देश के सबसे बड़े किसान नेता के बारे में जानें सबकुछ

किसान नेता चौधरी चरण सिंह को मरणोपरांत भारत रत्न मिलने जा रहा है। आज उनके नाम की घोषणा कर दी गई है। पीएम मोदी ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट पर खुद इस बात की जानकारी दी।

चौधरी चरण सिंह- India TV Hindi Image Source : PTI चौधरी चरण सिंह

आज यानी 9 फरवरी को केंद्र सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न से सम्मानित करने का फैसला लिया है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी। उन्होंने कहा- "हमारी सरकार का यह सौभाग्य है कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जी को भारत रत्न से सम्मानित किया जा रहा है। यह सम्मान देश के लिए उनके अतुलनीय योगदान के लिए दिया जा रहा है। उन्होंने किसानों के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। उन्होंने अपना पूरा जीवन किसानों और उनके परिवारों के उत्थान के लिए काम किया। हमेशा किसानों के अधिकार और उनके कल्याण की बात की।" 

मोदी ने आगे कहा "उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हों या देश के गृहमंत्री और यहां तक कि एक विधायक के रूप में भी, उन्होंने हमेशा राष्ट्र निर्माण को गति प्रदान की। वे आपातकाल के विरोध में भी डटकर खड़े रहे। हमारे किसान भाई-बहनों के लिए उनका समर्पण भाव और इमरजेंसी के दौरान लोकतंत्र के लिए उनकी प्रतिबद्धता पूरे देश को प्रेरित करने वाली है।" आइए आज हम आपको इस किसान नेता के बारे में बताते हैं। कैसे वह "भारत के किसानों के चैंपियन" के रूप में जाने गए। उनसे जुड़ी हर जानकारी हम आपको यहां देंगे। 

चौधरी चरण सिंह के जीवन पर एक नजर

चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर 1902 में हुआ था। वह उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के नूरपुर में एक मध्यम वर्गीय किसान परिवार में जन्में थे। 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक वह भारत के पांचवें प्रधानमंत्री रहे। पिता मीर सिंह, स्वयं खेती करने वाले काश्तकार किसान थे और उनकी मां नेत्रा कौर थीं। चरण सिंह ने अपनी स्कूली शिक्षा जानी खुर्द गांव में की। उन्होंने 1919 में गवर्नमेंट हाई स्कूल से मैट्रिकुलेशन पूरा किया। 1923 में, उन्होंने आगरा कॉलेज से बीएससी और 1925 में इतिहास में एमए पूरा किया। इसके बाद उन्होंने कानून की भी पढ़ाई की। गाजियाबाद में सिविल लॉ की प्रैक्टिस भी की।

Image Source : Social Mediaचौधरी चरण सिंह 

चौधरी चरण सिंह का राजनीतिक सफर

साल 1929 में, वह इंडियन नेशनल कांग्रेस में शामिल हो गए और फिर वह हमेशा राजनीति में रहे। चौधरी चरण सिंह ने अपना संपूर्ण जीवन भारतीयता और ग्रामीण परिवेश की मर्यादा में जिया। चौधरी चरण सिंह ने देश की आजादी में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया था। इसके लिए वह कई बार जेल भी गए। आज चौधरी चरण सिंह के जन्म दिवस को किसान दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।

उनके राजनीतिक सफर में वे सबसे पहले 1937 में छपरौली से उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए। फिर उन्होंने लगातार 1946, 1952, 1962 और 1967 में विधानसभा में अपने निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। चौधरी चरण सिंह 1946 में पंडित गोविंद बल्लभ पंत की सरकार में संसदीय सचिव बने और राजस्व, चिकित्सा एवं लोक स्वास्थ्य, न्याय, सूचना समेत कई विभागों में कार्य किया। जून 1951 में उन्हें राज्य के कैबिनेट मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया और न्याय तथा सूचना विभागों का प्रभार दिया गया। 1952 में वे डॉ. सम्पूर्णानन्द के मंत्रिमंडल में राजस्व और कृषि मंत्री रहे। अप्रैल 1959 में जब उन्होंने पद से इस्तीफा दिया, उस समय उन्होंने राजस्व एवं परिवहन विभाग का प्रभार संभाला हुआ था।

Image Source : PTIचौधरी चरण सिंह

चौधरी चरण सिंह सी.बी. गुप्ता के मंत्रालय में गृह एवं कृषि मंत्री (1960) थे। वहीं, सुचेता कृपलानी के मंत्रालय में वे कृषि एवं वन मंत्री (1962-63) रहे। उन्होंने 1965 में कृषि विभाग छोड़ दिया एवं 1966 में स्थानीय स्वशासन विभाग का प्रभार संभाल लिया। कांग्रेस विभाजन के बाद फरवरी 1970 में दूसरी बार वे कांग्रेस पार्टी के समर्थन से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। हालांकि राज्य में 2 अक्टूबर 1970 को राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया था। चरण सिंह ने विभिन्न पदों पर रहते हुए उत्तर प्रदेश की सेवा की एवं उनकी ख्याति एक ऐसे कड़क नेता के रूप में हो गई थी जो प्रशासन में अक्षमता, भाई- भतीजावाद और भ्रष्टाचार को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करते थे।

Image Source : Social Mediaकिसान नेता चौधरी चरण सिंह।

कैसे बने देश के सबसे बड़े किसान नेता

देश की आजादी के बाद किसानों के हित मं जो सबसे बड़ा काम हुआ वह ये था कि गरीब किसानों को जमींदारों के शोषण से मुक्ति दिलाकर उन्हें भूमीधर बनाया गया। इसके पीछे सिर्फ और सिर्फ चौधर चरण सिंह का योगदान था। उन्होंने भूमी सुधार एंव जमींदारी उन्मूलन कानून बनाकर ऐसा सराहनीय काम किया जिसकी सराहना देश में ही नहीं विदेशों में भी होती है। चौधरी चरण सिंह के इस काम के बदौलत जमींदारों के शोषण से मुक्त होकर किसान भूमीधर बन गए। जब चौधरी चरण सिंह जी के पास कृषि विभाग था, तब आयोग ने निर्देश दिया था कि जिन जमींदारों के पास खुद के काश्त के लिए जमीन नहीं है वे अपने आसामियों से 30-60 फिसदी भूमी लेने का अधिकार मान लें। चौधरी चरण सिंह के हस्तक्षेप से यह निर्णय UP में नहीं माना गया। लेकिन दूसरे राज्यों में इसकी आड़ में गरीब किसानों से उनकी भूमी छीन ली गई। इसके बाद 1956 में चौधरी चरण सिंह की प्रेरणा से जमींदारी उन्मूलन एक्ट में संशोधन किया गया और कहा गया कि कोई भी किसान भूमी से वंचित नहीं किया जाएगा। जिसका किसी भी रूप में जमीन पर कब्जा हो वह जमीन उसकी होगी। उनके इस निर्णय से देश के गरीब किसानों के पास खेती करने के लिए उनकी खुद की जमीन हुई। 

ये भी पढ़ें:

पीवी नरसिम्हा राव: अर्थव्यवस्था के द्वार दुनिया के लिए खोले लेकिन अंतिम यात्रा के दौरान उनके लिए कांग्रेस कार्यालय का दरवाजा तक ना खोला गया

MSP का सुझाव, अकाल से जूझते भारत की बदली तस्वीर, कौन थे महान कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन?

 

Latest India News