नई दिल्ली: चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग के लिए 13 जुलाई को दोपहर 02:30 बजे का समय निर्धारित किया गया है। अधिकारियों ने बुधवार को इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि इस यान को मार्क-3 के जरिये लॉन्च किया जाएगा। चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित रूप से उतरने और वहां गतिविधियां करने की क्षमता प्रदर्शित करने के लिए चंद्रयान-2 के बाद का यह एक अभियान है। अधिकारियों के मुताबिक, चंद्रयान-3 को आंध्र प्रदेश स्थित श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से मार्क-3 रॉकेट के जरिए लॉन्च किया जाएगा।
चंद्रमा की कक्षा में 100 किमी तक जाएंगे लैंडर और रोवर
अधिकारियों ने बताया कि इसके लिए 13 जुलाई को दोपहर 02:30 बजे का समय निर्धारित किया गया है। प्रॉपेलैंट मॉड्यूल ‘लैंडर’ और ‘रोवर’ को 100 किलोमीटर तक चंद्रमा की कक्षा में ले जाएगा। इसमें चंद्रमा की कक्षा से पृथ्वी के ध्रुवीय मापन का अध्ययन करने के लिए एक ‘स्पेक्ट्रो-पोलरमेट्री’ पेलोड भी जोड़ा गया है। ISRO के अधिकारियों के मुताबिक, जहां लैंडर और रोवर पर इन वैज्ञानिक उपकरणों का दायरा ‘चंद्रमा का विज्ञान’ की 'थीम' के अनुरूप होगा, वहीं एक अन्य प्रायोगिक उपकरण चंद्रमा की कक्षा से पृथ्वी के ‘स्पेक्ट्रो-पोलरिमेट्रिक सिग्नेचर’ की स्टडी करेगा, जो ‘चंद्रमा से विज्ञान’ थीम के मुताबिक होगा।
2019 में चंद्रयान के लैंडर ‘विक्रम’ की हुई थी हार्ड लैंडिंग
बता दें कि इससे पहले ‘चंद्रयान-2’ के लैंडर ‘विक्रम’ का 7 सितंबर 2019 को तड़के चांद की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ के प्रयास के दौरान ISRO के जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया था। लैंडर के भीतर ही रोवर ‘प्रज्ञान’ बंद था जिसे चांद की सतह पर वैज्ञानिक प्रयोग करने थे। विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर का जीवनकाल एक चंद्र दिवस यानी कि धरती के 14 दिन के बराबर था। माना जाता है कि विक्रम की चंद्रमा के सतह पर 'हार्ड लैंडिंग' हुई होगी जिसमें लैंडर और रोवर क्षतिग्रस्त हो गए होंगे।
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