नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिल्ली सरकार के अस्पतालों में 'घटिया' दवाओं की आपूर्ति के मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) से कराने का आदेश दिया है। सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी है। बता दें कि दिसंबर में दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने गृह मंत्रालय से मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी।
दिल्ली सरकार की ओर से लिखा गया पत्र
बता दें कि दिल्ली सरकार के सतर्कता निदेशालय ने गुरुवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय को पत्र लिखा था। साथ ही गृह मंत्रालय से यहां राज्य सरकार के अधीन अस्पतालों में घटिया दवाओं की आपूर्ति की जांच सीबीआई को सौंपने का अनुरोध किया था। वहीं आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार के सूत्रों ने कहा कि दिल्ली सरकार इस मामले में जांच लंबित रहने तक स्वास्थ्य सचिव को निलंबित करने की सिफारिश उपराज्यपाल वीके सक्सेना से करेगी। इससे पहले स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने इस मामले को लेकर स्वास्थ्य सचिव के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी।
उपराज्यपाल ने की थी CBI जांच की सिफारिश
दरअसल, पिछले सप्ताह दिल्ली के उपराज्यपाल सक्सेना ने ऐसी दवाओं की कथित आपूर्ति की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी जो ‘गुणवत्ता मानक जांच’ में विफल हो गयी थीं और जिनसे ‘लोगों की जान खतरे में पड़ सकती है।’ वहीं सतर्कता निदेशालय द्वारा केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजे गये पत्र में कहा गया था कि ‘‘मुझे यह कहने का निर्देश दिया गया है कि ‘खराब गुणवत्ता’ वाली ऐसी दवाओं की आपूर्ति पर कार्रवाई केंद्रीय खरीद एजेंसी (सीपीए) तक ही सीमित नहीं रहनी चाहिए, बल्कि पूरी आपूर्ति शृंखला की जांच करने की जरूरत है और उस जांच में विनिर्माताओं से दवा खरीदने वाले एवं उन दवाओं को अस्पतालों (मरीजों) तक पहुंचाने वाले आपूर्तिकर्ता की भूमिका की भी जांच हो।’’
जांच के दौरान कई नमूने हुए विफल
इसमें कहा गया था कि ‘‘मामले की गंभीरता तथा ‘घटिया गुणवत्ता वाली दवाओं’ की आपूर्ति के सिलसिले में कंपनी की मंशा से पर्दा हटाने की जरूरत है।’’ साथ ही यह भी कहा गया कि आगे की जांच के लिए मामले को सीबीआई को सौंपे जाने का अनुरोध किया जाता है। अधिकारियों के अनुसार, जो घटिया दवाएं पायी गयी हैं, उनमें फेफड़े और मूत्रनली के संक्रमण के उपचार में काम आने वाली दवा ‘सेफालेक्सिन’ शामिल हैं। उपराज्यपालज को सौंपी गई सतर्कता विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी प्रयोगशालाओं को भेजे गए दवाओं के 43 नमूनों में से तीन परीक्षण में विफल रहे और 12 रिपोर्ट लंबित थीं। इसके अलावा, निजी प्रयोगशालाओं को भेजे गए अन्य 43 नमूनों में से पांच विफल रहे।
(इनपुट- भाषा)
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