नेशनल टेस्टिंग एजेंसी यानी एनटीए इन दिनों विवादों को घेरे में हैं। एनटीए की पारदर्शिता पर खूब सवाल खड़े हो रहे हैं। दरअसल नीट की परीक्षा में पेपरली का विवाद हो या यूजीसी नेट परीक्षा का रद्द होना और अब नीट पीजी परीक्षा का रद्द होना। इन कारणों से एनटीए की पारदर्शिता पर सवाल खड़े होने लगे हैं और अभ्यर्थियों द्वारा इसे लेकर आक्रोश व्यक्त किया जा रहा है और राजनीतिक दलों द्वारा इसपर खूब राजनीति की जा रही है। हालांकि इस बीच एनटीए के डीजी पद से केंद्र सरकार ने सुबोध कुमार सिंह को हटा दिया है और प्रदीप सिंह खरोला को डीजी नियुक्त किया गया है।
एनटीए पर की गई कार्रवाई
इस बीच केंद्र सरकार के सूत्रों ने कहा कि सरकार द्वारा एनटीए पर जो कार्रवाई होनी चाहिए, वह की गई है। सरकार ने एनटीए में बदलाव और सुधार के लिए कमेठी का गठन किया है। एंटी पेपर लीक कानून यानी पब्लिक एग्जामिनेशन (प्रिवेंशन ऑफ अनफेयर मीन्स) एक्ट 2024 को लागू कर दिया गया है। साथ ही जनवरी में जो एडवाइजरी निकाली गई थी, उससे कोचिंग सेंटर प्रतिकूल तौर पर प्रभावित हुए हैं। पहले 1 लाख रैंक के बच्चे लगभग 4500 सेंटर में आए। इसके कारण विवाद हुआ। यह सब अब जिले तक गया, यानि इसका विस्तार हुआ है।
संसद में बोलने को तैयार हैं धर्मेंद्र प्रधान
केंद्र सरकार के सूत्रों ने इंडिया टीवी से बात करते हुए कहा कि यह शोध का विषय है कि कौन इसके खिलाफ आए। कोचिंग सेंर के लोगों ने इसे बढ़ावा दिया। मेरिट के बच्चे इसमें नहीं हैं। रिटेस्ट में 52 फीसदी बच्चे आए यानी कुल 813 बच्चे पास हुए। झज्जर के दो सेंटरों में कुल 494 में से 287 बच्चे पास हुए। दो बार बोर्ड के एग्जाम को लेकर सरकार विचार कर रही है। साथ ही रद्द हुई परीक्षा को लेकर एनटीए द्वारा जल्द ही फैसला लिया जाएगा। संसद में नीट मामेल को लेकर शिक्षामंत्री धर्मेंद्र प्रधान बयान देने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। इसको लेकर फैसाल सदन के चेयर को करना है।
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