देश के अलग-अलग स्थानों पर सीबीआई की छापेमारी, जब्त की गई करोड़ों की लग्जरी संपत्ति
23 फरवरी के दिन दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम समेत 6 स्थानों पर छापेमारी की गई थी। इस दौरान करीब 80.30 लाख रुपये नकद, 8.84 करोड़ रुपये की एफडी, 35 लाख रुपये की सोने की पट्टियां और सिक्के बरामद किए गए हैं।
सीबीआई ने 109.17 करोड़ रुपये के बैंक धोखाधड़ी मामले में कई स्थानों पर छापेमारी की। इस छापेमारी में सीबीआई ने अलग अलग स्थानों से कई आभूषण, एफड़ी, संपत्तियों के दस्तावेज बरामद किए हैं। सीबीआई द्वारा 24 फरवरी को बेंगलुरू और गाजियाबाद के दो स्थानों पर छापेमारी कई गई थी। वहीं 23 फरवरी के दिन दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम समेत 6 स्थानों पर छापेमारी की गई थी। इस दौरान करीब 80.30 लाख रुपये नकद, 8.84 करोड़ रुपये की एफडी, 35 लाख रुपये की सोने की पट्टियां और सिक्के बरामद किए गए हैं। वहीं इस छापेमारी में 38.86 करोड़ रुपये की कई संपत्तियों से संबंधित दस्तावेज और भारी मात्रा में सोने एवं हीरे के आभूषणों बरामद किए।
छापेमारी में सीबीआई ने किया बरामद
नई दिल्ली, गाजियाबाद, गुरुग्राम, बैंगलोर, हाजीपुर (बिहार) में कथित रूप से बड़ी संख्या में अचल संपत्तियां खरीदी गई। इनमें से आरोपियों ने कथित तौर पर पिछले 4 वर्षों में 36.50 करोड़ रुपये की संपत्ति खरीदी। उक्त बरामदगी के अतिरिक्त हाजीपुर (बिहार) में वर्ष 2019 में लीज पर ली गई बड़ी संख्या में भूमि सहित संपत्ति के कई दस्तावेज भी बरामद किए गए हैं। मर्सिडीज बेंज समेत 3 लग्जरी कारें, राडो, रोलेक्स, लॉन्गिंस, बुलगारी, स्विस्टार, हब्लोट, एम्पोरियो अरमानी, उलिसे नार्डिन एवं ओमेगा सहित लगभग 13 प्रीमियम घड़ियां और मोंट ब्लैंक, वाटरमैन, फेरारी आदि सहित 19 प्रीमियम पेन भी पाए गए।
बैंक से धोखाधड़ी
सीबीआई यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (अग्रणी बैंक) एवं कॉरपोरेशन बैंक के समूह के साथ 109.17 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले की जांच कर रही है। बैंक द्वारा मिली शिकायत के आधार पर सीबीआई द्वारा देश के अलग अलग हिस्सों में छापेमारी की गई। यह भी आरोप है कि आरोपी ने उक्त ऋण लेने वाली कंपनी से संबंधित पार्टियों एवं सहायक कंपनियों को भारी मात्रा में पैसा डायवर्ट किया था। कंपनी ने कथित तौर पर नियमों और शर्तों का उल्लंघन करते हुए गैर समूह के बैंक में खाता खोला एवं उन खातों में बड़ी राशि प्राप्त की थी जिन्हें बाद में डायवर्ट कर दिया गया था।
यह भी आरोप है कि कंपनी ने गिरवी रखे गए फ्लैटों को बेचने से पहले ऋणदाता बैंकों से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं किया था एवं वित्तीय आंकड़ों और सूचनाओं को गलत तरीके से प्रस्तुत किया था जिसके कारण बैंक से महत्वपूर्ण जानकारी को छुपाया गया था। इस मामलें में जांच जारी है।
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