क्या ऐन वक्त पर बदली जा सकती है लैंडिंग की जगह? कितने घंटे पहले लिया जाएगा उतरने का अंतिम निर्णय, जानें सबकुछ
चंद्रयान-3 आज ऐतिहासिक इबारत लिखने के बेहद करीब है। यदि सबकुछ ठीक रहा तो आज शाम 6 बजकर 04 मिनट पर विक्रम लैंडर चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। जानिए क्या इसरो आखिरी वक्त पर उतरने की जगह और उतरने के संबंध में किस तरह निर्णय ले सकेगा।
Chandrayaan-3: भारत की शान चंद्रयान-3 अब से चंद घंटों बाद चंद्रमा की जमीन पर उतरकर नया इतिहास लिखने के बेहद करीब है। पूरी दुनिया की नजर इस पर बनी हुई है। भारत का हर नागरिक दिल थामकर इस ऐतिहासिक पल का साक्षी बनने जा रहा है। हालांकि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र यानी इसरो के वैज्ञानिकों की धड़कनें बढ़ी हुई हैं। वे चंद्रयान-3 की सुरक्षित लैंडिंग के लिए पूरी तरह से चुस्त और मुस्तैद हैं। अगर सबकुछ ठीक रहा तो शाम 6 बजकर 04 मिनट पर विक्रम लैंडर चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। हालांकि लैंडिंग के लिए लगभग 10 वर्ग किलोमीटर का दायरा तय किया गया है। अगर लैंडिंग के लिए एक जगह सही नहीं लगी तो दूसरी जगह भी तैयार रहेगी।
चंद्रयान-3 अब हमारे एकमात्र उपग्रह यानी 'चंदा मामा' से बस कुछ ही घंटे की दूरी पर है। आज शाम यानी बुधवार 23 अगस्त की शाम को चंद्रयान-3 चंद्रमा की धरती को 'चूमेगा'। इस तरह यह भारतीय अंतरिक्ष के इतिहास का सबसे बड़ा पल हो सकता है। इसकी लैंडिंग को लेकर लोगों में उत्साह देखा जा रहा है। इसरो पहले ही बता दिया है कि चंद्रयान का विक्रम लैंडर चांद की उस कक्षा में पहुंच गया है, जहां चंद्रमा का निकटतम बिंदु मात्र 25 किलोमीटर है। अब वह धीरे-धीरे चंद्रमा की जमीन की ओर बढ़ रहा है। शाम 6 बजकर 04 मिनट पर विक्रम लैंडर की चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग हो सकेगी। इस दुर्लभ घटना के लिए पूरी दुनिया की निगाहें भारत की शान चंद्रयान -3 पर टिकी हुई हैं।
अंतिम समय में बदल सकते हैं लैंडिंग की लोकेशन?
इसरो ने चंद्रयान-2 से सबक लेकर चंद्रयान-3 में व्यापक बदलाव किए हैं। चंद्रयान-2 के उतरने के लिए जितना क्षेत्र निर्धारित किया गया था, अब उसमें काफी बढ़ोतरी की गई है। लैंडिंग के लिए लगभग 10 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र तय किया गया है। अगर लैंडिंग के लिए एक जगह सही नहीं लगी तो दूसरी जगह भी तैयार रहेगी। वैसे भी चंद्रयान-3 चंद्रमा की ऐसी जगह उतर रहा है, जो सबसे ज्यादा चैलेंजिंग है। यहां खाइयां, पत्थर और उबड़ खाबड़ जगह हैं। दूसरे देशों के अंतरिक्ष यान इक्वेडर यानी चंद्रमा के बीचोंबीच विषुवत रेखा पर उतरे हैं, लेकिन हमारा चंद्रयान-3 चंद्रमा के उस हिस्से पर उतरने जा रहा है, जिसे पृथ्वी से नहीं देखा जा सकता। जहां हमेशा अंधेरा बना रहता है। यह जगह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर है, जहां इसरो के अनुसार तापमान शून्य से भी 220 डिग्री नीचे रहता है।
यान उतरेगा या नहीं, अंतिम निर्णय दो घंटे पहले लिया जाएगा: इसरो
इस बीच इसरो ने कहा कि पहले विक्रम लैंडर के लिए अनुकूल स्थितियों को पहचाना जाएगा। लैंडिंग के लिए निर्धारित समय से ठीक दो घंटे पहले यान को उतारने या न उतारने पर अंतिम निर्णय होगा। इसरो के वैज्ञानिक नीलेश एम देसाई के मुताबिक, अगर चंद्रयान-3 को 23 अगस्त को लैंड नहीं कराया जाता है, तो फिर इसे 27 अगस्त को भी चांद पर उतारा जा सकता है।
चंद्रयान-2 से सीखें हैं कई सबक
इसरो के पूर्व निदेशक डॉ. के सिवन के अनुसार, पिछली बार लैंडिंग प्रक्रिया के बाद हमने डेटा देखा था। उसके आधार पर सुधारात्मक उपाय किए गए हैं। जहां भी मार्जिन कम है, हमने उन मार्जिन को बढ़ाया है। चंद्रयान-2 से हमने जो सबक सीखा है, उसके आधार पर चंद्रयान-3 के सिस्टम को अधिक मजबूती के साथ आगे बढ़ाया है।
चंद्रयान-3 में टारगेट स्थान से आगे पीछे लैंडिंग की व्यवस्था
चंद्रयान-3 को टारगेट स्थल से आगे-पीछे ले जाने की व्यवस्था है। एक किलोमीटर के दायरे में उसकी सुरक्षित लैंडिंग हो सकती है। अगर एक जगह ठीक नहीं है तो दूसरे स्थान पर लैंडिंग हो जाएगी। चंद्रयान-2 में पांच इंजन लगे थे, इस बार चार इंजन रखे गए हैं। ऐसा इसलिए किया गया है, ताकि चंद्रयान-3 का वजन कम रहे।
मंदिरों में हो रही प्रार्थनाएं
इस तरह सबकुछ ठीक रहा तो आज शाम भारत के अंतरिक्ष के इतिहास में एक सुनहरा अध्याय जुड़ जाएगा। साथ ही भारत की विश्व में धाक भी बढ़ेगी और मान भी बढ़ेगा। इसके लिए भारत के कई मंदिरों में पूजा अर्चना की जा रही है और सफल लैंडिंग की कामना की जा रही है।