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Hindi News भारत राष्ट्रीय क्या सरकार जनकल्याण के लिए आपकी निजी संपत्ति ले सकती है? जानें सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा

क्या सरकार जनकल्याण के लिए आपकी निजी संपत्ति ले सकती है? जानें सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा

सरकार जनकल्याण के लिए निजी संपत्ति ले सकती है या नहीं, इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट का एक अहम फैसला सामने आया है। इसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हर निजी संपत्ति को सामुदायिक संपत्ति नहीं कह सकते।

Supreme Court- India TV Hindi Image Source : PTI सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: क्या जनकल्याण के लिए किसी की निजी संपत्ति ली जा सकती है? इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हर निजी संपत्ति को सामुदायिक संपत्ति नहीं कह सकते। सार्वजनिक हित में निजी संपत्ति की समीक्षा हो। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने बहुमत से पिछले आदेश को पलट दिया है। 

सुप्रीम कोर्ट ने क्या फैसला दिया?

चीफ जस्टिस ने बहुमत के फैसले में तय किया है कि हर निजी संपति को सामुदायिक भौतिक संसाधन (community resources) नहीं माना जा सकता। कुछ खास संसाधनों को ही सरकार सामुदायिक संसाधन मानकर इनका इस्तेमाल सार्वजनिक हित के लिए कर सकती है, सभी संसाधनों का नहीं।

पीठ ने बहुमत से जस्टिस कृष्ण अय्यर के पिछले फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि सभी निजी स्वामित्व वाले संसाधनों को राज्य द्वारा अधिग्रहित किया जा सकता है। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 1960 और 70 के दशक में समाजवादी अर्थव्यवस्था की ओर झुकाव था। लेकिन 1990 के दशक से बाजार उन्मुख अर्थव्यवस्था की ओर ध्यान केंद्रित किया गया।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था की दिशा किसी विशेष प्रकार की अर्थव्यवस्था से अलग है। बल्कि इसका उद्देश्य विकासशील देश की उभरती चुनौतियों का सामना करना है। फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पिछले 30 सालों में गतिशील आर्थिक नीति अपनाने से भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बन गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह जस्टिस अय्यर के इस फिलॉसफी से सहमत नहीं है कि निजी व्यक्तियों की संपत्ति सहित हर संपत्ति को सामुदायिक संसाधन कहा जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की संविधान पीठ ने फैसला सुनाया

ये फैसला सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की संविधान पीठ ने सुनाया है। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस ऋषिकेश रॉय, जस्टिस बी वी नागरत्ना, जस्टिस सुधांशु धूलिया, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा ,जस्टिस राजेश बिंदल , जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा, और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की संविधान पीठ ने ये फैसला सुनाया है। 

 

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