Koh-i-Noor: ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की निधन के बाद भारत में चर्चा होने लगा कि कोहिनूर हीरा की कब देश में वापसी होगा। महारानी के निधन के बाद ब्रिटेन की गद्दी पर किंग चार्ल्स विराजमान हुए। अंग्रेजों ने भारत पर जब कब्जा किया था उसी समय कोहिनूर को भारत से ब्रिटेन ले चले गए और महाराज के ताज में जड़ दिया गया है। महारानी के निधन के बाद चर्चा का विषय बना कि भारत का हीरा भारत में आना चाहिए।
प्रवक्ता ने दिया संकेत
भारत सरकार ने इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करते हुए बताया कि कोहिनूर को लेकर लगातार ब्रिटेन सरकार के संपर्क में है। इसी मुद्दे पर चर्चा करते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने अपने बयान से संकेत दिया कि वह यूनाइटेड किंगडम से दुनिया की सबसे बेसकीमती हीरे को लाने के लिए प्रयास में लगा है। वही उन्होंने इशारों ही इशारों में समझाया कि हम हर वो नियम कानून पता लगाने पर काम कर रहे हैं जिससे भारत की धरोहर को देश में वापस लाया जा सकें।
भारत सरकार सदन में दे चुका है जवाब
आपको बता दें कि पीटीआई से बात करते हुए कोहिनूर को वापस लाने के लिए इस मुद्दे पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने सरकार के उस बयान के बारे में जिक्र किया है जो कुछ सालों पहले संसद में दिया गया था। उन्होंने बताया कि इस मामले पर भारत सरकार ने सदन में जवाब दिया था। हमारे तरफ से समय-समय पर मुद्दे का जिक्र करते हैं। प्रयास में है कि कैसे हीरा को यूके से वापस लाया जाएगा।
पाकिस्तान भी रख चुका है प्रस्ताव
आजादी के बाद से कोहिनूर को लाने के लिए प्रयास किया जाता रहा है। साल 1953 में भारत सरकार ने ब्रिटेन के सामने अपनी मांग रखी थी लेकिन उस भी ब्रिटेन मांग को ठुकरा दिया था। ब्रिटेन हमेशा दलील देता है कि इंडिया के पास कोहिनूर को वापस मांगने के लिए कोई कानूनी अधिकार नहीं है क्योंकि समकालीन पंजाब के शासक दिलीप सिंह ने ईस्ट इंडिया को तोहफे में दिया था। भारत के अलावा पाकिस्तान भी ब्रिटेन सरकार से कोहिनूर मांगने के लिए प्रस्ताव रख चुका है। साल 1976 में कोहिनूर को लौटाने के लिए अपनी मांग रखी थी जिससे ब्रिटेन ने ठुकरा दिया था।
कहां से मिला था कोहिनूर
आपको बता दें कि ये 108 कैरेट का कोहिनूर हीरा है। साल 1849 में महाराजा दलीप सिंह द्वारा दिया गया था। जिसके बाद महारानी के मुकुट पर 1937 में लगाया गया था। इस कोहिनूर की इतिहास की बात करें तो ऐसा कहा जाता है कि आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले में स्थित गोलकुंडा के खदानों से प्राप्त हुआ था। ऐसी भी मान्यता है कि इसी खदान से दरियाई नूर, नूर-उन-ऐन मुगल, ओरलोव आगरा डायमंड, अहमदाबाद डायमंड और ब्रोलिटी ऑफ इंडिया जिसे कई हीरे मिले हैं।
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