नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट मीटिंग में चुनाव सुधार से जुड़े एक बिल को मंजूरी दी गई। बिल के मुताबिक, आने वाले समय में वोटर आईडी कार्ड को उस शख्स के आधार नंबर से जोड़ा जाएगा। आधार कार्ड को वोटर आईडी से जोड़ने का फैसला स्वैच्छिक होगा। सरकार ने चुनाव आयोग की सिफारिश के आधार पर ही यह फैसला किया है। आधार को वोटर आईडी से जोड़ने से फर्जी वोटर कार्ड से होने वाली धांधली रोकी जा सकेगी।
चुनाव आयोग की मांग है कि नए वोटर आईडी के अप्लाई करने वाले व्यक्ति के लिए आधार की जानकारी अनिवार्य कर देना चाहिए। आयोग का मत है कि आधार और वोटर आईडी एक दूसरे से लिंक होने पर काफी परेशानियां अपने आप खत्म हो जाएंगी। सबसे बड़ी समस्या यह है कि वर्तमान वोटर लिस्ट में कई नाम बार-बार आ जाते हैं।
बता दें कि आधार और वोटर आईडी जोड़ने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के निजता के अधिकार के फैसले को ध्यान में रखा जाएगा। सरकार चुनाव आयोग को और ज्यादा अधिकार देने के लिए कदम उठाएगी। प्रस्तावित बिल देश के युवाओं को हर साल चार अलग-अलग तारीखों पर खुद को वोटर के तौर पर रजिस्टर करने की इजाजत भी देगा। यानी वोटर बनने के लिए अब साल में चार तारीखों को कटऑफ माना जाएगा। अब तक हर साल पहली जनवरी या उससे पहले 18 साल के होने वाले युवाओं को ही वोटर के तौर पर रजिस्टर किए जाने की इजाजत है।
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