केंद्रीय गृह मंत्रालय को संशोधित नागरिकता कानून (CAA) के तहत नियम बनाने के लिए राज्य सभा और लोकसभा में अधीनस्थ विधान पर संसदीय समितियों की ओर से सातवीं बार अतिरिक्त समय दिया गया है। बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून 11 दिसंबर 2019 को संसद द्वारा पारित किया गया था। सूत्रों के मुताबिक राज्यसभा में अधीनस्थ विधान पर संसदीय समिति द्वारा सीएए नियमों को बनाने का समय इस साल 31 दिसंबर तक और लोकसभा में अधीनस्थ विधान पर संसदीय समिति द्वारा 9 जनवरी 2023 तक बढ़ा दिया गया है।
2019 में बना था नागरिकता संशोधन कानून
गौरतलब है कि इसके पहले भी गृह मंत्रालय को 6 बार समय विस्तार दिया जा चुका है। नागरिकता संशोधन कानून 11 दिसंबर 2019 को संसद द्वारा पारित किया गया था और इसे अगले ही दिन राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई थी। इसके बाद गृह मंत्रालय ने इसे अधिसूचित किया था। हालांकि, कानून अभी लागू होना बाकी है, क्योंकि सीएए के तहत नियम बनाए जाने अभी बाकी हैं।
नागरिकता संशोधन कानून का क्या है मकसद
बता दें कि सीएए के जरिए केंद्र सरकार बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए गैर-मुस्लिमों को भारतीय नागरिकता देना चाहती है। कानून के तहत इन समुदायों के जो लोग 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए थे और जो वहां धार्मिक उत्पीड़न का सामना कर रहे थे, उन्हें अवैध प्रवासी नहीं माना जाएगा और उन्हें भारतीय नागरिकता दी जाएगी।
जानिए क्या कहती है संसदीय नियमावली
किसी भी कानून के क्रियान्वयन के लिए उसके प्रावधान तय करना जरूरी है। संसदीय कार्य से जुड़ी नियमावली के मुताबिक, किसी भी कानून के प्रावधान राष्ट्रपति की सहमति के छह महीने के भीतर तैयार किए जाने चाहिए या लोकसभा और राज्यसभा की अधीनस्थ विधान संबंधी समितियों से समयसीमा में विस्तार की मांग की जानी चाहिए। जनवरी 2020 में गृह मंत्रालय ने अधिसूचित किया था कि यह अधिनियम 10 जनवरी 2020 से लागू होगा, लेकिन उसने बाद में राज्यसभा और लोकसभा में अधीनस्त विधान संबंधी संसदीय समितियों से नियमों के क्रियान्वयन के लिए कुछ और समय देने का अनुरोध किया, क्योंकि कोविड-19 महामारी के कारण देश एक अभूतपूर्व स्वास्थ्य संकट का सामना कर रहा था।
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