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Hindi News भारत राष्ट्रीय नौसेना के इतिहास में पहली बार हुआ ऐसा, भाई-बहन ने एक ही समय में संभाली युद्धपोतों की कमान

नौसेना के इतिहास में पहली बार हुआ ऐसा, भाई-बहन ने एक ही समय में संभाली युद्धपोतों की कमान

भारतीय नौसेना के इतिहास में ऐसा पहली बार देखने को मिला है, जब एक ही परिवार के भाई-बहन नौसेना के युद्धपोत की कमान संभालने जा रहे हैं। इशान देवस्थली और प्रेरणा देवस्थली को युद्धपोतों को संभालने की जिम्मेदारी दी गई है।

brother and sister took command of warships at the same time in indian navy- India TV Hindi Image Source : ANI भाई-बहन ने एक ही समय में संभाली युद्धपोतों की कमान

भारतीय नौसेना के इतिहास में ऐसा पहली बार देखने को मिल रहा है, जब किसी भाई-बहन द्वारा एक ही समय पर भारतीय नौसेना के युद्धपोतों की कमान संभाली जा रही है। दरअसल कमांडर प्रेरणा देवस्थली और कमांडर ईशान देवस्थली दोनों भाई बहन हैं। दोनों एक ही समय पर अलग-अलग युद्धपोतों की कमाल संभाल रहे हैं। कमांडर प्रेरणा देवस्थली पिछले साल भारतीय नौसेना में युद्धपोत की कमान संभालने वाली पहली महिला अधिकारी बनी थीं। वर्तमान में प्रेरणा आईएनएस त्रिकंट की कमान संभाल रही है जो तेज गति से हमला करने वाला जहाज है।

भाई-बहनों ने संभाली युद्धपोतों की कमान

वहीं प्रेरणा के भाई कमांडर ईशान देवस्थली को अब आईएनएस विभूति की कमान सौंपी गई है। बता दें कि आईएनएस विभूति भारतीय नौसेना का वीर श्रेणी का मिसाइल पोत है। बता दें कि विभूति जहाज, अरब सागर में गोवा तट के पास राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को दी गई भाप-पोत का हिस्सा था। दोनों भाई-बहन वर्तमान में पश्चिमी कमान के अंतर्गत अपने-अपने युद्धपोतों की कमान संभाल रहे हैं। बता दें कि 7 नवंबर 2024 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी के साथ विमानवाहक पोत आईएनएस व्रिकांत का दौरा किया। इसके साथ ही उन्होंने भारतीय नौसेना द्वारा परिचालन प्रदर्शन देखा।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने की नेवी की तारीफ

इस दौरान जब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने संबोधन में भारतीय नौसेना की खूब तारीफें भी की। द्रौपदी मुर्मू ने कहा, 'भारतीय नौसेना की इकाइयां अपनी क्षमताओं और रणनीतिक प्रभाव को प्रदर्शित करते हुए विशाल क्षेत्रों में विस्तारित अवधि के लिए तैनात है। आपके सकारात्मक, सक्रिय और त्वरित कार्यों ने समुद्र में अनगिनत लोगों की जान बचाई है। यह मेरे लिए यह एक विशेष क्षण था जब बुल्गारिया के राष्ट्रपति ने इस साल की शुरुआत में एक अपहृत जहाज से बुल्गारिया चालक दल को बचाने के लिए आभार व्यक्त करने के लिए फोन किया था। 

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