Brahmos Missile: भारत रक्षा के क्षेत्र में लगातार तरक्की कर रहा है। ब्रह्मोस जैसी मिसाइलें तो अब भारत बेचने लगा है। इसी बीच रक्षा मंत्रालय ने ब्रह्मोस मिसाइलों को लेकर ब्रह्मोस एयरोस्पेस के साथ एक बड़ी डील की है। भारत सरकार बाय इंडियन केटेगरी के तहत 1700 करोड़ रुपए में ब्रह्मोस मिसाइलें खरीद रही है। ये मिसाइलें जमीन से जमीन पर मार करने के अलावा एंटी टैंक हमलों को रोकने में भी सक्षम है।
1700 करोड़ रुपए की लागत से खरीदी जाएंगी ये मिसाइलें
इन मिसाइलों को ‘बाय इंडियन केटेगरी‘ के तहत करीब 1700 करोड़ रुपए की लागत से खरीदा जाएगा। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार रक्षा मंत्रालय ने अपने एक बयान में कहा कि इन दोहरी भूमिका निभाने वाली मिसाइलों के इंडियन नेवी के बेड़े में शामिल होने से बेड़े की मारक क्षमता और ऑपरेशनल केपेबिलिटी में और ज्यादा इजाफा हो जाएगा।
ब्रह्मोस एयरोस्पेस भारत और रूस का जॉइंट डिफेंस वेंचर
भारत और रूस का जॉइंट वेंचर है ब्रह्मोस एयरोस्पेस जो कि हाइपरसोनिक मिसाइलें बनाने में सक्षम है। इसके तहत नई जनरेशन की जमीन से जमीन पर मार करने वाली मिसाइलों का निर्माण किया जाता है। ये मिसाइलें जमीन से जमीन पर मार करने के अतिरिक्त एंटी टैंक अटैक को भी रोकती है।
इसके तहत नई पीढ़ी की जमीन से जमीन पर मार करने वाली मिसाइलें बनती हैं, जिन्हें समय समय पर आधुनिक तकनीकों से लैस किया जाता है। ये मिसाइलें एंटी टैंक अटैक को भी रोकने में पूरी तरह सक्षम हैं।
समझौते से भारत में गोला बारूद के उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा
रक्षा मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि रक्षा उत्पादन क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत पर जोर देने के लिए रक्षा मंत्रालय ने बाय इंडियन केटेगरी के तहत 1700 करोड़ रुपए की लागत से सतह से सतह पर मार करने वाली ब्रह्मोस मिसाइलों की खरीद के लिए समझौता किया है। इस सौदे से भारत की हथियार प्रणाली और गोला बारूद के उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा।
भारत 6 साल में पहली हाइपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइल बनाने सफल होगा
ब्रह्मोस मिसाइल के बारे में यह कहा जाता है कि यह सबसे तेज, बेस्ट और सबसे सटीक घातक हथियार माना जाता है। ये दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक मिसाइलें हैं। जो कि स्टेल्थ तकनीक से लैस होती हैं। सटीक निशाना लगाने के लिए इसमें एडवांस सॉॅफ्टवेयर होते हैं। भारत 5 से 6 साल में पहली हाइपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइल बनाने में सफल हो जाएगा।
मिसाइल की गति को 600 से 1000 किमी प्रतिघंटा भी किया जा सकेगा
रूस और भारत मिलकर ब्रह्मोस-2 हाइपरसोनिक मिसाइल बना रहे हैं। इसमें वही स्क्रैमजेट इंजन लगाया जाएगा। जो इसे शानदार गति और ग्लाइड करने की केपेबिलिटी प्रदान करेगा। इस मिसाइल की रेंज 600 किलोमीटर प्रतिघंटा होगी। जिसे बढ़ाकर 1000 किलोमीटर भी किया जा सकेगा। लेकिन इसकी गति बहुत ज्यादा होगी। यह मैक 8 यानी 9800 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से दुश्मन पर धावा बोलेगी।
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