बंबई हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने सोमवार को 19 वर्षीय दो युवकों को बरी करते हुए कहा कि किसी लड़की के पीछे-पीछे एक बार चलना यह मानने के लिए पर्याप्त नहीं होगा कि ‘पीछा करने’ का अपराध किया गया है। हालांकि, अदालत ने छेड़छाड़ के आरोप में उनमें से एक की सजा को बरकरार रखा। दोनों को 2022 में अकोला की एक सत्र अदालत ने 2020 में 14 वर्षीय लड़की से छेड़छाड़ और उसका पीछा करने के लिए दोषी ठहराया था। उन्हें छेड़छाड़ के आरोप में पांच साल और पीछा करने के आरोप में तीन साल जेल की सजा सुनाई गई थी।
क्या है मामला?
अभियोजन पक्ष का मामला यह है कि दोनों ने लड़की का पीछा किया और उनमें से एक ने उससे कहा था कि वह उसे पसंद करता है और उससे शादी करना चाहता है। लड़की ने अपनी मां से शिकायत की थी, जिन्होंने युवकों के माता-पिता के समक्ष यह मुद्दा उठाया। हालांकि, कुछ दिनों बाद लड़की से अपने प्यार का इजहार करने वाला युवक पीड़िता के घर पहुंचा और उसके साथ छेड़छाड़ की।
"छेड़छाड़ में दोषी ठहराना सही है"
न्यायमूर्ति जी ए सनप की एकल पीठ ने दिसंबर 2024 में दिए फैसले में, जिसकी एक प्रति सोमवार को उपलब्ध कराई गई, कहा कि छेड़छाड़ के आरोप में एक युवक को दोषी ठहराना सही है, लेकिन पीछा करने के आरोप में दूसरे युवक की दोषी ठहराना गलत है।
हाई कोर्ट ने कहा, "यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि पीछा करने के अपराध के लिए अभियोजन पक्ष को यह साबित करना होगा कि आरोपी ने सीधे या इलेक्ट्रॉनिक, डिजिटल मीडिया के माध्यम से किसी का बार-बार या लगातार पीछा किया, उसे देखा या संपर्क किया।"
मामले में पीठ ने क्या कहा?
पीठ ने कहा कि पीछा करने के अपराध की इस अनिवार्य आवश्यकता को देखते हुए पीड़िता का पीछा करने का अकेला उदाहरण इस अपराध को साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं होगा। पीठ ने एक युवक की पांच साल की सजा को भी घटाकर उस अवधि तक कर दिया, जिसे वह 2022 में अपनी गिरफ्तारी के बाद से जेल में बिता चुका है। (भाषा)
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