BJP President JP Nadda: भारतीय जनता पार्टी (BJP) के अध्यक्ष जेपी नड्डा को कम से कम 2024 के लोकसभा चुनाव तक इस पद पर बरकरार रखा जा सकता है, क्योंकि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को लगता है कि संगठन में निरंतरता रखने से उसे आम चुनाव से पहले, आगामी महीनों में होने वाले प्रमुख विधानसभा चुनावों में मदद मिल सकती है। नड्डा का तीन साल का कार्यकाल अगले साल जनवरी में समाप्त हो जाएगा।
सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी की सर्वोच्च संस्था संसदीय बोर्ड उससे पहले उनका कार्यकाल बढ़ाने का समर्थन कर सकता है। उन्होंने कहा कि बीजेपी की राज्य इकाइयों में संगठनात्मक चुनाव अभी शुरू नहीं हुए हैं, इसलिए यह स्पष्ट है कि नड्डा इस पद पर बने रहेंगे। पार्टी के नियमों के मुताबिक, राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव से पहले इसकी कम से कम आधी राज्य इकाइयों में संगठनात्मक चुनाव होने चाहिए।
नड्डा को निर्विरोध पार्टी अध्यक्ष चुना गया था
नड्डा के पूर्ववर्ती अमित शाह को भी कार्यकाल विस्तार मिला था, क्योंकि पार्टी चाहती थी कि वह 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान पद पर बने रहें। साल 2019 में संसदीय चुनाव समाप्त होने के बाद एक बार फिर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की सरकार बनी। इस सरकार में अमित शाह केंद्रीय गृह मंत्री बने, जिसके बाद संगठनात्मक चुनाव हुए और नड्डा को निर्विरोध पार्टी अध्यक्ष चुन लिया गया।
पीएम मोदी के विश्वासपात्र माने जाते हैं नड्डा
हिमाचल प्रदेश से संबंध रखने वाले 61 वर्षीय नड्डा मोदी के विश्वासपात्र माने जाते हैं और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के नेताओं के साथ भी उनके मधुर संबंध हैं। ऐसा माना जाता है कि नड्डा ने बीजेपी में उस संगठनात्मक गति और गतिशीलता को बनाए रखा है, जो उन्हें उनके पूर्ववर्ती से विरासत में मिली थी। बीजेपी के सूत्रों ने कहा कि नड्डा को पार्टी के विस्तार के लिए समन्वय और रणनीतियों को लागू करने का श्रेय दिया जाता है।
लोकसभा से पहले कई राज्यों में है चुनाव
गौरतलब है कि इस वर्ष के अंत में अथवा अगले वर्ष गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इन चुनावों को 2024 के लोकसभा चुनाव से पूर्व काफी अहम माना जा रहा है। बीजेपी ने नड्डा के नेतृत्व में कई अहम चुनावी सफलताएं हासिल की हैं, जिसमें उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्यों में सत्ता बरकरार रखना और बिहार में प्रभावशाली प्रदर्शन करना शामिल है। हालांकि, उनके नेतृत्व में पार्टी को पिछले साल पश्चिम बंगाल में हार का सामना करना पड़ा था।
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