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Hindi News भारत राष्ट्रीय Aap Ki Adalat: दंगों को याद कर माधवी लता का छलका दर्द, बोलीं- 'रात भर लगता था डर'

Aap Ki Adalat: दंगों को याद कर माधवी लता का छलका दर्द, बोलीं- 'रात भर लगता था डर'

आप की अदालत में भारतीय जनता पार्टी की नेता और हैदराबाद लोकसभा सीट से भाजपा की प्रत्याशी माधवी लता ने India Tv के एडिटर इन चीफ रजत शर्मा के सवालों का खुलकर जवाब दिया। इस दौरान उन्होंने अपने बचपन का एक किस्सा सुनाया। उन्होंने कहा कि उस समय मैं छोटी थी, लेकिन रात भर हमको डर लगता था।

आप की अदालत में हैदराबाद से भाजपा प्रत्याशी माधवी लता।- India TV Hindi Image Source : INDIA TV आप की अदालत में हैदराबाद से भाजपा प्रत्याशी माधवी लता।

Aap Ki Adalat: इंडिया टीवी के चर्चित शो 'आप की अदालत' में हैदराबाद लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी माधवी लता ने कई विषयों पर खुलकर बात की। वहीं आप की अदालत में India Tv के एडिटर इन चीफ रजत शर्मा के सवालों का भी उन्होंने सामना किया। इस दौरान माधवी लता ने 1980-1990 के समय हुए दंगों का भी जिक्र किया। इन दंगों का जिक्र करते हुए माधवी लता का दर्द छलक उठा। उन्होंने बचपन का किस्सा सुनाते हुए कहा कि उस समय रात भर हमको डर लगता था। उन्होंने कहा कि जिस मोहल्ले में 100  हिन्दू थे, आज सिर्फ 5 हिन्दू के घर हैं।

'जिस मोहल्ले में 100  हिन्दू थे, आज सिर्फ 5 हिंदुओं के घर हैं'

इंडिया टीवी के एडिटर इन चीफ रजत शर्मा ने जब उनसे पूछा कि क्या यादें हैं और उस समय हैदराबाद का कैसा माहौल था? इसका जवाब देते हुए माधवी लता ने कहा कि जब भी कोई त्योहार होता था। तो उस समय त्योहार चाहे मुसलमान का हो या हिंदू का हो सभी लोग बड़े मजे में अपना त्योहार मनाते थे। उन्होंने कहा कि पता नहीं मैं बहुत छोटी थी तो रोड़ बड़ा दिखता था या सही में रोड बड़ा था। आज इतने सालों के बाद जब वही रोड पर मैं निकलती हूं तो तो रोड के ऊपर घर आ गए हैं। जिस मोहल्ले में 100  हिन्दू थे, आज सिर्फ 5 हिंदुओं के घर हैं। 

'कोई भी आवाज सुकर चौंक जाती थी'

माधवी लता ने एक और किस्से का जिक्र करते हुए कहा कि 'हां, मैं मानती हूं के 1980-1990 के दौरान जो कम्युनल राइट हुए थे, उस समय रात भर हमको डर लगता था। मैं बहुत छोटी थी। घर के एक-एक आदमी पुरुष जो भी बड़े हैं, एक डंडा लेकर उनको पहरी बनना पड़ता और घर की औरतों को मिर्ची हाथ में लेकर पोटली बना कर तैयार रखना पड़ता था। पता नहीं आधी रात को कौन एक अलग जगह से आ जाए। 10-15 लोग आएं और सिर फोड देंगे, तो कोई भी आवाज से एकदम चौंक कर उठ जाती थी। इतने सालों के साथ सच्चाई तो ये है कि तब कम्युनल राइट होते थे और अब पॉलिटिकल राइट होते हैं।

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