भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने गुरुवार को आरोप लगाया कि सबरीमाला में भगवान अयप्पा मंदिर में तैनात पुलिस कर्मियों को बांटी गई एक पुस्तिका में श्रद्धालुओं के प्रवेश को लेकर एक दिशानिर्देश दुर्भावनापूर्ण उद्देश्य वाला है। वहीं सत्तारूढ़ LDF ने कहा कि अगर कोई चूक हुई है तो निर्देश को वापस लिया जाएगा। राज्य के गृह विभाग द्वारा मंदिर में तैनात पुलिस कर्मियों को बांटी गई पुस्तिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट के सितंबर 2018 के फैसले के अनुसार सभी श्रद्धालुओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति है। इस मामले में जब राजनीतिक विवाद शुरू हुआ तो प्रदेश के देवस्वोम मंत्री के. राधाकृष्णन ने सफाई दी कि किताब पहले ही छप गयी थी और इसमें गलती से यह दिशानिर्देश आ गया। उन्होंने सबरीमाला में संवाददाताओं से कहा, ‘‘सरकार का इस मामले में कोई दुर्भावनापूर्ण मकसद नहीं है। हमने सबकुछ अच्छी मंशा के साथ किया है। अगर दिशानिर्देशों में कोई चूक हुई तो उन्हें वापस लेने का निर्देश दिया जाएगा।’’
इस तरह के फैसले सरकार के लिए ठीक नहीं
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के. सुरेंद्रन ने सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश के मुद्दे और इसे लेकर हुए प्रदर्शनों का प्रत्यक्ष उल्लेख किये बिना कहा कि अगर वाम सरकार की पुस्तिका में ‘सभी श्रद्धालुओं के लिए प्रवेश’ संबंधी दिशानिर्देश के पीछे कोई विशेष मंशा है तो इसे तत्काल रोकना बेहतर होगा। उन्होंने कहा, ‘‘अगर यह फैसला सबरीमाला को एक बार फिर युद्ध क्षेत्र बनाने तथा लोगों की आस्था पर निशाना साधने के मकसद से लिया गया है तो हम अतीत की कोई बात नहीं भूले हैं। सरकार उन चीजों से पहले पलट चुकी है। अगर आप फिर से इस तरह के कदम उठा रहे हैं तो इसके दूरगामी परिणाम होंगे। हम केवल इतना कह सकते हैं।’’ भाजपा नेता ने यह भी कहा कि सरकार के लिए इस तरह के कदमों को वापस लेना ही ठीक होगा। सबरीमाला में भगवान अयप्पा मंदिर वार्षिक मंडलम मकरविलक्कू तीर्थयात्रा की पूर्वसंध्या पर बुधवार को खुल गया।
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