नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 30 मार्च को सात देशों के ‘बिम्सटेक’ समूह के शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे। डिजिटल माध्यम से आयोजित होने वाले इस सम्मेलन में समूह के सदस्य देशों के बीच आर्थिक सहयोग को विस्तार देने पर चर्चा होने की उम्मीद है। इस बार श्रीलंका अध्यक्ष के रूप में, ‘बंगाल की खाड़ी बहुक्षेत्रीय तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग पहल’ (बिम्सटेक) सम्मेलन की मेजबानी करेगा।
BIMSTEC: बिम्सटेक में भारत के अलावा बांग्लादेश, म्यांमा, थाईलैंड, नेपाल और भूटान शामिल हैं। विदेश मंत्रालय ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 30 मार्च को पांचवें बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे। यह शिखर सम्मेलन डिजिटल माध्यम से आयोजित होगा और बिम्सटेक का वर्तमान अध्यक्ष श्रीलंका इसकी मेजबानी करेगा।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि बिस्मटेक के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक 28 मार्च को होगी तथा 29 मार्च को समूह के विदेश मंत्रियों की बैठक होगी। विदेश मंत्री एस. जयशंकर 28 मार्च से 30 मार्च के बीच श्रीलंका का दौरा करेंगे और वह बिम्सटेक विदेश मंत्रियों की बैठक में शामिल होंगे।
क्या है बिमस्टेक?
बिम्सटेक का पूरा नाम 'बे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टी-सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकनॉमिक कोऑपरेशन' है। ये बंगाल की खाड़ी से तटवर्ती या आसपास के देशों का एक अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग संगठन है। इसमें भारत, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, म्यांमार, श्रीलंका और थाइलैंड शामिल हैं। इसकी स्थापना 6 जून 1997 को बैंकॉक में की गई थी।
क्या है इस संगठन का उद्देश्य?
इस संगठन का उद्देश्य यह है कि सभी देश सामाजिक, आर्थिक और तकनीकी सहायता करेंगे, एक दूसरे को प्रशिक्षण दे सकेंगे। सदस्य देशों के बीच आपसी व्यापार में आने वाली दिक्कतों को कम करना। सभी देशों में सहयोग और समानता की भावना।
बिमस्टेक नाम कैसे पड़ा?
सबसे पहले संस्थापक देशों ने बांग्लादेश, भारत, श्रीलंका, थाइलैंड ने मिलकर BIST-EC बनाया। जिसमे 22 दिसंबर 1997 को म्यांमार शामिल हुआ और इसका नाम बिम्स-ईसी कर दिया गया। नेपाल बाद में साल 1998 में पर्यवेक्षक देश के रूप में जुड़ा। फिर साल 2004 फरवरी में नेपाल और भूटान पूर्ण सदस्य बन गए। और 31 जुलाई 2004 को इसका नाम BIMSTEC (बिम्सटेक) पड़ा। बिम्सटेक में शामिल देशों की संख्या 7 है जिनमे बंगाल की खाड़ी के पास बसे देश है। इसमें पाकिस्तााना शामिल नहीं है।
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