'कुर्सी कुमार' बनकर रह गए नीतीश! 22 साल में 7 बार बने CM, लोकसभा चुनाव से पहले 2014 में भी तोड़ा था NDA से रिश्ता, फिर उठाया वही कदम
Bihar Political Crisis: विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के कार्यकर्ता भी जद (यू) कार्यकर्ताओं के साथ 'नीतीश कुमार जिंदाबाद' के नारे लगाते नजर आए। बीजेपी और जेडीयू के नेता खुलकर कुछ भी कहने से बच रहे हैं लेकिन एक दूसरे का नाम लिए बिना शब्दों से जरूर वार कर रहे हैं।
Highlights
- बिहार में राजनीतिक संकट शुरू हुआ
- नीतीश कुमार ने अपने पद से इस्तीफा दिया
- नीतीश ने एनडीए से दोबारा तोड़ा रिश्ता
Bihar Political Crisis-Nitish Kumar: बिहार में राजनीतिक घमासान मचा हुआ है। ये तूफान अब उफान पर है। नीतीश कुमार ने न केवल बिहार के मुख्यमंत्री के अपने पद से इस्तीफा दे दिया है बल्कि एनडीए से भी नाता तोड़ लिया है। नीतीश कुमार ने मंगलवार को राज्यपाल फागू चौहान से मुलाकात की। मुलाकात के बाद नीतीश कुमार ने कहा कि उन्होंने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गंठबंधन (राजग यानी एनडीए) के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। नीतीश अपनी पार्टी जद (यू) की बैठक में भाजपा नीत एनडीए से अलग होने का फैसला लिए जाने के बाद राज्यपाल से मिलने पहुंचे। कुमार अपने आवास से काफिले में निकले और बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ताओं का अभिवादन किया, जो अपने नेता की एक झलक पाने के लिए बाहर इंतजार कर रहे थे।
विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल (राजद यानी आरजेडी) के कार्यकर्ता भी जद (यू) कार्यकर्ताओं के साथ 'नीतीश कुमार जिंदाबाद' के नारे लगाते नजर आए। बीजेपी और जेडीयू के नेता खुलकर कुछ भी कहने से बच रहे हैं लेकिन एक दूसरे का नाम लिए बिना शब्दों से जरूर वार कर रहे हैं। वहीं इस्तीफा देने के बाद नीतीश कुमार पटना में राबड़ी देवी के आवास पहुंचे। उन्होंने कहा, "सभी सांसद और विधायक इस बात पर सहमत हुए कि हमें एनडीए छोड़ देना चाहिए। इसके तुरंत बाद मैंने बिहार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।" लेकिन क्या आप ये बात जानते हैं कि नीतीश ने जो आज किया, वैसा वह पहली बार नहीं कर रहे। बल्कि इससे पहले भी यही कदम उठा चुके हैं।
इतिहास के पन्नों तो अगर पलटें, तो पता चलेगा कि नीतीश कुमार ने पहले भी बीजेपी का साथ छोड़ दिया है। नीतीश कुमार ने 2014 में होने वाले लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी का साथ छोड़ा था। अब एक बार फिर उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी से अपना रिश्ता खत्म कर लिया है। जिससे साफ है कि उनके कदम अब दोबारा महागठबंधन की तरफ बढ़ रहे हैं। मीडिया रिपर्ट्स से ये भी पता चला है कि नीतीश कुमार ने बीते दिनों में कई बार कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से फोन पर बात की है। वह आरजेडी की इफ्तार पार्टी में भी तेजस्वी यादव के साथ दिखे थे।
22 साल में 7 बार मुख्यमंत्री बने नीतीश
नीतीश कुमार पहली बार 3 मार्च, 2000 में बिहार के मुख्यमंत्री बने थे। हालांकि बहुमत नहीं मिल पाने के कारण उन्हें महज सात दिन बार 10 मार्च को इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद दूसरी बार 2005 में उन्होंने बीजेपी के साथ सरकार बनाई। फिर उन्होंने 24 नवंबर, 2005 में बिहार के मुख्यमंत्री के पद की शपथ ली और अपना कार्यकाल पूरा करते हुए 24 नवंबर, 2010 तक इस पद पर रहे। नीतीश तीसरी बार 26 नवंबर, 2010 में एक बार फिर मुख्यमंत्री बने। इन चुनावों में एनडीए को बहुमत मिला था और उसने 243 में से 206 सीटों पर जीत दर्ज की थी।
नीतीश कुमार फिर चौथी बार भी सीएम बने। हालांकि इस बार कहानी थोड़ी हटकर थी। वह 2014 में बीजेपी से अलग हो गए थे और उन्होंने इस बार राजद के साथ सरकार बनाई। लेकिन लोकसभा चुनावों में खराब प्रदर्शन की वजह से उन्होंने इस्तीफा दे दिया और जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बना दिया। फिर बाद में गलतफहमियों के चलते उन्हें भी इस पद से हटा दिया। इसके बाद नीतीश एक बार फिर 22 फरवरी, 2015 में बिहार के मुख्यमंत्री बने और इस पद पर 19 नवंबर, 2015 तक रहे। उन्होंने पांचवीं बार में राजद के साथ चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी। तब उन्होंने पांचवीं बार 20 नवंबर, 2015 में सीएम पद की शपथ ली।
नीतीश कुमार का मुख्यमंत्री बनने का कारवां यहीं खत्म नहीं हुआ। उन्होंने राजद से मतभेदों के चलते 26 जुलाई, 2017 को इस्तीफा दे दिया था। और वह 27 जुलाई, 2017 में बीजेपी के साथ मिल गए और छठी बार मुख्यमंत्री बने। इसके बाद नीतीश ने 16 नवंबर, 2020 में सातवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इन विधानसभा चुनावों में पहली बार ऐसा हुआ था, जब बीजेपी ने जेडीयू से अधिक सीटें जीती थीं लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी 'कुर्सी कुमार' के नाम से मशहूर नीतीश कुमार के हिस्से में ही आई। अब उन्होंने 8 अगस्त, 2022 को एक बार फिर इस्तीफा दे दिया है। साथ ही एनडीए से भी रिश्ता खत्म कर लिया है। उनके एक बार फिर राजद से मिलने की संभावना तेज हो गई है।