नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान ने श्री करतारपुर साहिब कॉरिडोर पर अगले पांच साल के लिए समझौते को रिन्यू किया है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ये जानकारी दी है। उन्होंने कहा है कि मोदी सरकार हमारे सिख समुदाय को उनके पवित्र स्थलों तक पहुंच की सुविधा प्रदान करना जारी रखेगी।
क्या है करतारपुर साहिब?
करतारपुर साहिब गुरुद्वारे को गुरुद्वारा दरबार साहिब के नाम से जाना जाता है। ये सिखों का प्रमुख धार्मिक स्थल है, क्योंकि यहां गुरु नानक देव ने अपने जीवन के आखिरी वर्ष बिताए थे। यहां नानक जी ने 16 सालों तक अपना जीवन बिताया था। बाद में इसी जगह पर गुरु नानक देव ने अपनी देह त्यागी। जिसके बाद यहां गुरुद्वारा दरबार साहिब बनाया गया।
ये जगह पाकिस्तान के पंजाब के नारोवाल जिले में आती है। यहीं पर करतारपुर बसा हुआ है। ये जगह लाहौर से 120 किलोमीटर दूर है और भारत-पाकिस्तान सीमा से सिर्फ तीन किलोमीटर दूर है।
नवंबर 2023 में एक विवाद भी सामने आया था
नवंबर 2023 में पाकिस्तान में सिख सुमदाय की भावनाओं से खिलवाड़ का मामला सामने आया था। यहां के करतारपुर साहिब स्थित गुरुद्वारे की बेअदबी की गई थी। करतारपुर साहिब के गुरुद्वारे की दर्शनी ड्योढ़ी से महज 20 फीट की दूरी पर शराब और नॉनवेज पार्टी की गई थी। इस पार्टी के कई वीडियो भी सामने आए थे।
वीडियो में लोग शराब के नशे में जमकर डांस करते हुए नजर आ रहे थे। पंडाल में नॉनवेज खाने की टेबल लगी हुई थी। पार्टी का वीडियो सामने आने के बाद सिख समुदाय में भारी गुस्सा था। ये पार्टी पाकिस्तान की परियोजना प्रबंधन इकाई के सीईओ मोहम्मद अबू बकर आफताब कुरैशी की ओर से दी गई थी।
इस पार्टी में पाकिस्तान के नारोवाल के डीसी मोहम्मद शारूख, पुलिस अधिकारियों समेत विभिन्न समुदायों के 80 से अधिक लोगों के साथ शामिल हुए थे। पार्टी में पीली पगड़ी पहने सिख रमेश सिंह अरोड़ा भी मौजूद थे, जो नारोवाल के पूर्व एमपीए और करतारपुर कॉरिडोर के राजदूत थे। यही नहीं करतारपुर साहिब के हेड ग्रंथी ज्ञानी गोबिंद सिंह भी इस पार्टी में शामिल हुए थे।
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