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Hindi News भारत राष्ट्रीय पराली की समस्या से निपटने के लिए पूसा इंस्टीट्यूट की बड़ी पहल, बायो डिकंपोजर का किया जाएगा इस्तेमाल

पराली की समस्या से निपटने के लिए पूसा इंस्टीट्यूट की बड़ी पहल, बायो डिकंपोजर का किया जाएगा इस्तेमाल

पराली की समस्या से निपटने के लिए पूसा इंस्टीट्यूट ने एक बड़ी पहल की है। पूसा इंस्टीट्यूट ने एक बायो डिकंपोज पाउडर तैयार किया है। इस पाउडर को पानी में घोलकर खेतों में डालकर पराली को नष्ट किया जा सकता है। करीब 500 ग्राम पाउडर के पैकेट को 200 लीटर पानी में मिलाकर एक हेक्टेयर में फैले पराली को नष्ट किया जा सकता है।

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नई दिल्ली: पराली की समस्या से निपटने के लिए पूसा इंस्टीट्यूट ने एक बायो डिकंपोजर पाउडर तैयार किया है, जिसे पानी में मिलाकर घोलकर तुरंत ही खेतों में भी डाल सकते हैं। 500 ग्राम के पाउडर के पैकेट को 200 लीटर पानी में मिलाकर एक हेक्टेयर में फैले पराली को नष्ट किया जा सकता है। पहले किसानों को पराली नष्ट करने के लिए जो किट दी जाती थी वह कैप्सूल फॉर्म में थी और उसके प्रोसेस में करीब 15 दिनों का वक्त लगता था लेकिन पराली के लिए अब बायो डिकंपोजर पाउडर आने के बाद आसानी से पराली को नष्ट किया जा सकता है। पराली खेतों में ही गल कर मिट्टी के साथ मिल जाता है। 

5000 हेक्टेयर खेत चिन्हित

हालांकि इस डिकंपोजर पाउडर का डेमोंसट्रेशन करीब 5000 हेक्टेयर में होना है, जिसमें दिल्ली की 4000 हेक्टेयर और पंजाब की 1000 हेक्टेयर खेत चिन्हित की गई है जहां पाउडर के घोल का इस्तेमाल किया जाएगा। इसमें ज्यादा मात्रा में जीवाणु भी मिलाए गए हैं ताकि पराली को जल्द से जल्द गलाया जा सके। हालांकि यह पाउडर किसानों के लिए अगले साल से ही उपलब्ध हो सकेगा।

पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं बढ़ीं

इस बीच पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में भारी बढ़ोत्तरी हुई है। सोमवार को ऐसे कुल 2,131 मामले सामने आए। इस सीजन में यह अब तक पराली जलाने की घटनाओं की सबसे बड़ी संख्या है। माना जा रहा है कि पराली जलाने की इन घटनाओं का दिल्ली-एनसीआर की हवा पर विपरीत असर पड़ा है। मंगलवार की सुबह दिल्ली की अधिकांश जगहों पर वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 400 से ऊपर रहा जो कि 'गंभीर' की श्रेणी में आता है। दिल्ली के अलावा आसपास के इलाकों में भी हवा में काफी ‘जहर’ घुला हुआ है।

पिछले साल से भी ज्यादा पराली जलाई गई

पंजाब की बात करें तो संगरूर में पराली जलाने की सबसे ज्यादा 330 घटनाएं हुईं। पंजाब रिमोट सेंसिंग सेंटर द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, सूबे में 15 सितंबर से 31 अक्टूबर के बीच पराली जलाने की 16,004 घटनाएं हुई हैं। वर्ष 2020 और 2021 में इसी अवधि के दौरान पंजाब में क्रमशः 29,615 और 13,124 ऐसी घटनाएं दर्ज की गई थीं। इसका मतलब यह है कि इस साल पिछले वर्ष के मुकाबले ज्यादा पराली जलाई गई है, जिससे आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण का गंभीर खतरा पैदा हो गया है।

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