अंतरिक्ष में नए युग की शुरुआत, भारत का पहला निजी राकेट Vikram- S श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपित
First Private Rocket Vikram-S Launched from Sriharikota:अंतरिक्ष के क्षेत्र में दुनिया भर में अपनी कामयाबी का झंडा बुलंद कर चुके भारत ने एक और इतिहास रच दिया है। श्रीहरिकोटा से भारत ने अपना पहला निजी राकेट विक्रम - S को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित कर दिया है। इसे देश के अंतरिक्ष में एक नए युग की शुरुआत मानी जा रही है।
First Private Rocket Vikram-S Launched from Sriharikota:अंतरिक्ष के क्षेत्र में दुनिया भर में अपनी कामयाबी का झंडा बुलंद कर चुके भारत ने एक और इतिहास रच दिया है। श्रीहरिकोटा से भारत ने अपना पहला निजी राकेट विक्रम - S को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित कर दिया है। इसे देश के अंतरिक्ष में एक नए युग की शुरुआत मानी जा रही है। इस राकेट ने आज सुबह 11.30 बजे अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी। इसके साथ ही भारत के अंतरिक्ष के इतिहास में आज से एक नया पन्ना जुड़ गया।
भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम शुक्रवार को उस समय नयी ऊंचाइयों पर पहुंच गया, जब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) श्रीहरिकोटा में अपने केंद्र से देश के पहले ऐसे रॉकेट का प्रक्षेपण किया। इसे पूरी तरह निजी तौर पर विकसित किया गया है। भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक विक्रम साराभाई को श्रद्धांजलि देते हुए इस रॉकेट का नाम ‘विक्रम-एस’ रखा गया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) विक्रम-एस को चेन्नई से लगभग 115 किलोमीटर दूर यहां अपने स्पेसपोर्ट से प्रक्षेपित किया है।
तीन पे-लोड के साथ गया विक्रम
एक नई शुरुआत के प्रतीक के रूप में इस मिशन को ‘प्रारंभ’ नाम दिया गया है। चार साल पुराने स्टार्ट-अप ‘स्काईरूट एयरोस्पेस’ के विक्रम-एस रॉकेट के पहले प्रक्षेपण से भारत में अब उम्मीदों का नया सबेरा हो चुका है। यह देश के अंतरिक्ष उद्योग में निजी क्षेत्र के प्रवेश को दर्शा रहा है, जिस पर दशकों से सरकारी स्वामित्व वाले इसरो का प्रभुत्व रहा है। स्काईरूट एयरोस्पेस भारत की पहली ऐसी निजी क्षेत्र की कंपनी बन गयी है जो 2020 में केंद्र सरकार द्वारा अंतरिक्ष उद्योग को निजी क्षेत्र के लिए खोले जाने के बाद भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में कदम रख चुकी है। इस मिशन में दो घरेलू और एक विदेशी ग्राहक के तीन पेलोड को भी साथ भेजा गया है। इस राकेट को हैदराबाद की कंपनी स्काईरूट एयरोस्पेस ने डेवलप किया है। इसमें क्रायोनिक ईंधन का उपयोग किया गया है।
अमेरिका का मुकाबला करेगा भारत
इस मिशन के बाद अब निजी कंपनियां स्पेस लॉन्च वेहिकल बनाएंगी, जिससे भविष्य में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र यानी इसरो को ऐसे निजी रोकेट्स की मदद से ज्यादा से ज्यादा स्पेस मिशन को अंजाम देने में मदद मिलेगी। इसी तरह पहले अमेरिकन अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने एलन मस्क की "स्पेस एक्स" कम्पनी को मंजूरी दी थी, जिसके बाद अमेरिका में स्पेस क्षेत्र में कम समय में तेजी से विकास देखा गया है। अब भारत में आज पहली बार निजी स्पेस कम्पनी स्काई रूट एरोस्पेस का बनाया विक्रम S रॉकेट का लॉन्च सफल रहा। इस दौरान दर्शक दीर्घा में बैठकर इस लॉन्च को देख रहे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह के साथ इसरो चेयरमैन एस सोमनाथ और इन स्पेस के चेयरमैन पवन गोयंका ने ताली बजाकर इसे सेलिब्रेट किया।
292 सेकेंड में तय हुई दूरी
लॉन्च के बाद रॉकेट ने ध्वनि की रफ्तार से 5 गुणा तेजी से उड़ान भरी और 292 सेकंड्स के मिशन को तय समय पर पूरा कर 89.5 किलोमीटर के सबआर्बिटल एल्टीट्यूड को हासिल किया और फिर रॉकेट के एल्टीट्यूड को धीरे- धीरे कम करते हुए उसे बंगाल की खाड़ी में सफलता पूर्वक स्प्लेश डाउन करवा दिया गया और इस तरह से देश का पहला निजी स्पेस मिशन कामयाब रहा। हाल ही में इसरो चीफ डॉ. एस. सोमनाथ ने स्काईरूट कंपनी के मिशन प्रारंभ के मिशन पैच का अनावरण भी किया। छह मीटर ऊंचा यह रॉकेट दुनिया का पहला ऑल कंपोजिट रॉकेट है. इसमें थ्रीडी- प्रिटेंड सॉलिड थ्रस्टर्स लगाए गए। ताकि उसकी स्पिन कैपिबिलिटी को संभाला जा सके। साथ ही इस रॉकेट में स्टील की बजाय कार्बन फाइबर का इस्तेमाल किया गया, जिसके चलते रॉकेट का वजन काफी हल्का हो गया। उड़ान के समय इस रॉकेट की एवियोनिक्स, टेलिमेट्री, ट्रैकिंग, इनर्शियल मेज़रमेंट, ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम, ऑनबोर्ड कैमरा, डेटा एक्वीजिशन और पावर सिस्टम की जांच की गई और इस रॉकेट ने इन टेक्निकल डेमोंस्ट्रेशन की सभी कसौटियों को सफलतापूर्वक पार कर लिया।