जाम के शौकीनों को एक अदद बोतल खरीदने के लिए वाइन शॉप तक जाना पड़ता है। ऐसे में बहुत सारे लोग इस बात की केवल कल्पना ही करके रह जाते हैं कि काश ये बोतल जरूरत के बाकी सामानों की तरह किराने की दुकान पर ही मिल जाती। लेकिन अब जम्मू कश्मीर में प्रशासन ने अपनी एक्साइज पॉलिसी में तब्दीली की है। आबकारी नीति में बदलाव के बाद अब राज्य में किराने की दुकान और डिपार्टमेंटल स्टोर पर बियर मिल सकेगी। हालांकि सरकार के इस फैसले का जम्मू कश्मीर की राजनीतिक पार्टियों ने विरोध किया है। कश्मीर के धार्मिक उलेमाओं ने सरकार से इस फैसले को वापस लेने की अपील की है।
डिपार्टमेंटल स्टोर को अलग से लेना होगा लाइसेंस
जम्मू कश्मीर सरकार ने अपनी आबकारी नीति में बदलाव किया है। जम्मू-कश्मीर की एक्साइज पॉलिसी में इस तब्दीली के तहत अब जम्मू कश्मीर के बड़े शहरों में किराना और डिपार्टमेंटल स्टोर के काउंटर्स पर जल्द ही बियर बेचीं जाएंगी। इसके तहत बीयर बेवरेजेस व अल्कोहल बेवरेज पदार्थ प्रदेश के शहरी क्षेत्रों के डिपार्टमेंटल स्टोर पर भी बेचे जा सकेंगे। ऐसे डिपार्टमेंटल स्टोर को आबकारी विभाग अलग से लाइसेंस जारी करेगा। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की अध्यक्षता में हुई प्रदेश प्रशासनिक परिषद की बैठक में आबकारी नीति, शराब बिक्री लाइसेंस और बिक्री नियमों में आवश्यक संशोधन को मंजूरी दे दी गई है।
कश्मीर के राजनैतिक दलों ने किया फैसले का विरोध
सरकार के इस आर्डर पर जम्मू कश्मीर की सभी राजनीतिक पार्टयों और इस्लामी धार्मिक गुरुओं ने इस फैसले का विरोध करते हुए इस आर्डर को वापस लेने की मांग की हैं। जम्मू कश्मीर की सबसे बड़ी दो राजनीतिक पार्टयों ने सरकार पर हमला बोल दिया है। नेशनल कॉन्फ्रेंस ने सरकार पर आरोप लगया की यह आर्डर जम्मू कश्मीर के कल्चर और यहां की सभ्यता के खिलाफ है। सरकार को चाहिए की वो इस आर्डर को जल्द से जल्द रिवोक करे।
गुजरात ड्राई स्टेट तो कश्मीर में दुकानों पर शराब क्यों?
नेशनल कांफ्रेंस प्रवक्ता इफरा जान ने इंडिया टीवी से बात करते हुए कहा कि अगर गुजरात में शराब पर पाबंदी है और वो एक ड्राई स्टेट है तो यहां क्यों किराना दुकानों पर शराब बेचने के आदेश दिए जाते हैं। यहां के कल्चर को क्यों एडिक्शन की तरफ ले जाया जा रहा है। ये न सिर्फ हमारे सेंटीमेंट्स को तकलीफ देना है बल्कि यहां की सभ्यता को ठेंस पहुंचाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि टूरिस्ट प्लेसेस पर शराब की दुकानें कहीं-कहीं जगह पर हैं लेकिन यहां की किराना दुकानों पर शराब बेचना हरगिज़ मंज़ूर नहीं। इसके लिए नेशनल कांफ्रेंस विरोध करेगी।
नई एक्साइज पॉलिसी की क्या हैं शर्तें
आपको बता दें कि इस आर्डर में साफ़ तौर पर कुछ शर्तें भी राखी गयी हैं। इसके तहत डिपार्टमेंटल स्टोर्स की सीरीज से जुड़े एक नए / हाल ही में खोले गए डिपार्टमेंटल स्टोर के मामले में लागू नहीं होगी। दूसरी शर्त ये कि जिसका सालाना कारोबार 10 करोड़ रुपये से ज्यादा है। इसके अलावा योग्य होने के लिए इन डिपार्टमेंटल स्टोर्स को कुछ चीजों की बिक्री भी करनी होगी। इनमें किराना, पैकिंग फूड, कन्फेक्शनरी, बेकरी आइटम, घरेलू सामान, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, स्टेशनरी और अन्य प्रसाधन सामग्री शामिल हैं।
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