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Hindi News भारत राष्ट्रीय Bar Council of India on Prashant Bhushan: 'वकीलों को लक्ष्मण रेखा नहीं लांघनी चाहिए', प्रशांत भूषण को लेकर बार काउंसिल ने की टिप्पणी, जानें पूरा मामला

Bar Council of India on Prashant Bhushan: 'वकीलों को लक्ष्मण रेखा नहीं लांघनी चाहिए', प्रशांत भूषण को लेकर बार काउंसिल ने की टिप्पणी, जानें पूरा मामला

Bar Council of India on Prashant Bhushan: बीसीआई के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने एक प्रेस विज्ञप्ति में आरोप लगाया कि भूषण जैसे लोग 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों का दुरुपयोग कर रहे हैं' और भारत विरोधी अभियान में शामिल हैं।

Prashant Bhushan- India TV Hindi Image Source : PTI Prashant Bhushan

Highlights

  • 'SC एवं इसके न्यायाधीशों का उपहास करने का अधिकार नहीं'
  • बीसीआई का आरोप, भूषण भारत विरोधी अभियान में शामिल हैं
  • 'आलोचना कर सकते हैं, लेकिन लक्ष्मण रेखा पार नहीं कर सकते'

Bar Council of India on Prashant Bhushan: भारतीय विधिज्ञ परिषद (Bar Council of India) ने न्यायपालिका के खिलाफ टिप्पणी को लेकर एडवोकेट प्रशांत भूषण की आलोचना की है और कहा है कि किसी को भी सुप्रीम कोर्ट एवं इसके न्यायाधीशों का 'उपहास' करने का अधिकार नहीं है। इसने यह भी कहा कि वकीलों को 'लक्ष्मण रेखा' नहीं लांघनी चाहिए। बीसीआई के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने एक प्रेस विज्ञप्ति में आरोप लगाया कि भूषण जैसे लोग 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों का दुरुपयोग कर रहे हैं' और भारत विरोधी अभियान में शामिल हैं। 

भूषण ने 10 अगस्त को इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल (IAMC) की ओर से आयोजित वेबिनार को संबोधित करते हुए जकिया जाफरी और धनशोधन निवारण अधिनियम (PMLA) जैसे मामलों में शीर्ष अदालत के हालिया फैसलों की आलोचना की थी। बीसीआई ने कहा, "अधिवक्ता ने इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल की ओर से आयोजित एक वेबिनार में बोलते हुए सारी हदें पार कर दीं।" 

Image Source : File PhotoSupreme Court

'आप व्यवस्था का मजाक नहीं बना सकते'

वरिष्ठ अधिवक्ता मिश्रा ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा, "उन्होंने न केवल सुप्रीम कोर्ट के हमारे न्यायाधीशों की आलोचना की और अनुचित, अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया, बल्कि यह कहकर खुद को बेनकाब कर दिया, और ऐसा करके उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के कुछ न्यायाधीशों को डराना चाहा।" शीर्ष अधिवक्ताओं के निकाय प्रमुख ने कहा कि किसी को भी भारत के सुप्रीम कोर्ट, इसके न्यायाधीशों या न्यायपालिका का उपहास करने का अधिकार नहीं है। बयान में कहा गया, "आप व्यवस्था का मजाक नहीं बना सकते। आप किसी की भी आलोचना कर सकते हैं, लेकिन आप लक्ष्मण रेखा पार नहीं कर सकते, हमेशा अपनी भाषा का ध्यान रखें। प्रैक्टिस करने का लाइसेंस आपको वकील के रूप में अपनी स्थिति का दुरुपयोग करने का अधिकार नहीं देता है।" 

काउंसिल ने भूषण के बयान को राष्ट्र के खिलाफ करार दिया 

बीसीआई ने भूषण के बयान को हास्यास्पद, निंदनीय और राष्ट्र के खिलाफ करार दिया। इसने कहा, "श्री भूषण जैसे व्यक्ति कभी भी नागरिक स्वतंत्रता के नायक नहीं रहे हैं, बल्कि इस तरह के अनुचित कार्य करके, वे दुनिया को यह संदेश देने में सफल होते हैं कि वे भारत विरोधी हैं। वास्तव में, ऐसे लोग अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों का दुरुपयोग कर रहे हैं। हम चीन और रूस जैसे देशों में प्रशांत भूषण जैसे लोगों के अस्तित्व की कल्पना नहीं कर सकते।" बीसीआई ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट अवमानना ​​की कार्यवाही शुरू करने में "किसी एक या अन्य कारणों से संकोच कर सकता है, लेकिन बार काउंसिल इस तरह की चीजों को बर्दाश्त नहीं करेगी।"

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