Ayodhya News: योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार ने 28 सितंबर को अयोध्या के नया घाट में लता मंगेशकर स्मृति चौक के उद्घाटन समारोह के लिए दिवंगत गायिका लता मंगेशकर के परिवार को आमंत्रित किया है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विशेष प्रतिनिधि के रूप में अयोध्या विकास प्राधिकरण के सचिव सत्येंद्र सिंह ने शनिवार को मुंबई में लता की बहन उषा मंगेशकर और उनके परिवार के अन्य सदस्यों को निमंत्रण दिया है।
28 सितंबर को पीएम मोदी करेंगे विशाल ‘वीणा‘ का उद्घाटन
40 फीट लंबी, 12 मीटर ऊंची और 14 टन वजन की ‘वीणा‘ की विशाल मूर्ति का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 सितंबर को गायिका की 93वीं जयंती के अवसर पर आदित्यनाथ की मौजूदगी में करेंगे।
विशाल चट्टान को तराशकर बनाई गई है देवी सरस्वती की मूर्ति
सरयू नदी के तट पर नया घाट चौक को लता मंगेशकर स्मृति चौक नाम देकर इसके स्वरूप को संवारने पर 7.9 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। यहां प्रसिद्ध मूर्तिकार और पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित राम सुतार ने एक विशाल चट्टान को तराशकर देवी सरस्वती की मूर्ति बनाई है, जो पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण होगा।
जानिए किसने किया है 40 फीट ऊंची ‘वीणा‘ का डिजाइन
40 फीट लंबी ऊंची और 14 टन वजन वाली वीणा तीन दिनों के सफर के बाद पिछले दिनों नोएडा से अयोध्या पहुंची थी। वीणा को मूर्तिकार राम वनजी सुतार ने डिजाइन किया है, जिन्होंने गुजरात में ष्स्टैच्यू ऑफ यूनिटीष् यानी दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा को डिजाइन किया था। राम सुतार भी अपने बेटे के साथ अयोध्या पहुंच चुके हैं। वीणा को प्रसिद्ध नया घाट क्रॉसिंग पर स्थापित किया जाएगाए जिसका नाम बदलकर भारत रत्न से सम्मानित दिवंगत लता मंगेशकर के नाम पर रखा गया है। नोएडा स्थित वास्तुकार रंजन मोहंती ने स्मृति चौक को डिजाइन किया हैए जहां लता मंगेशकर द्वारा गाए गए प्रसिद्ध भजन भी बजाए जाएंगे।
लताजी के नाम पर क्रॉसिंग का नाम बदलने का साधु संतों ने किया था विरोध
मुख्यमंत्री ने इस साल 6 फरवरी को लता मंगेशकर के निधन के बाद उनकी याद में एक प्रमुख अयोध्या क्रॉसिंग का नाम बदलने की घोषणा की थी। प्रारंभ मेंए अयोध्या के संतों ने लता मंगेशकर के नाम पर क्रॉसिंग का नाम बदलने का विरोध किया था। इसके बजाय वे चाहते थे कि नया घाट क्रॉसिंग का नाम जगतगुरु रामानंदाचार्य के नाम पर रखा जाए।
सीम योगी ने ये दिया था आश्वासन
योगी आदित्यनाथ द्वारा अयोध्या में अन्य स्थानों और सड़कों का नाम प्रमुख संतों के नाम पर रखने का आश्वासन दिए जाने के बाद संतों ने अपना विरोध वापस लिया।
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