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Hindi News भारत राष्ट्रीय 30 अगस्त: इतिहास के पन्नों में आज के दिन औरंगजेब ने करवाई थी अपने भाई दारा शिकोह की हत्या, ये थी वजह

30 अगस्त: इतिहास के पन्नों में आज के दिन औरंगजेब ने करवाई थी अपने भाई दारा शिकोह की हत्या, ये थी वजह

दारा शिकोह, बादशाह शाहजहां का बड़ा बेटा था और औरंगजेब का बड़ा भाई था लेकिन सत्ता पाने के लिए और इस्लाम के प्रति अपनी कट्टरता के लिए औरंगजेब ने दारा शिकोह की हत्या करवा दी थी।

Dara Shikoh- India TV Hindi Image Source : REPRESENTATIVE PIC दारा शिकोह

नई दिल्ली: भारत का इतिहास तमाम कहानियों से भरा हुआ है। इतिहास के पन्नों में एक ऐसी खूनी कहानी भी दर्ज है, जहां सत्ता हासिल करने के लिए एक भाई ने ही दूसरे भाई की जान ले ली। ये कहानी मुगल बादशाह औरंगजेब और उसके भाई दारा शिकोह की है। वो 30 अगस्त 1659 का ही दिन था, जब औरंगजेब ने अपने बड़े भाई के खून से अपनी प्यास बुझाई थी। दरअसल दारा शिकोह को 1633 में शाहजहां ने अपना उत्तराधिकारी बनाया था । यह बात दारा के अन्य भाइयों को स्वीकार नहीं थी। लिहाजा शाहजहां के बीमार पड़ने पर औरंगजेब ने दिल्ली में दारा की हत्या करा दी।

दारा शिकोह को पसंद क्यों नहीं करता था औरंगजेब?

दारा शिकोह, बादशाह शाहजहां का बड़ा बेटा था, जिसे हिंदू धर्मशास्त्रों में रुचि थी और उसने उनका अध्ययन भी किया। वह धर्माचार्यों को बुलाता था और उनसे धर्म पर चर्चा करता था। उसने तमाम हिंदू धर्मग्रंथों का अनुवाद भी कराया। दारा शिकोह की ये रुचि उनके साथ रहने वालों और मुस्लिम धर्मगुरुओं को रास नहीं आती थी। लोग उन्हें काफिर भी कहते थे। लेकिन दाराशिकोह अपने व्यवहार की वजह से जनता में लोकप्रिय था।

शाहजहां भी उसे ही सत्ता की गद्दी सौंपना चाहते थे लेकिन औरंगजेब ने उसे युद्ध में हराकर सत्ता छीन ली और अपने ही भाई को मरवा दिया। इतिहास में जिक्र आता है कि औरंगजेब को लगता था कि दारा शिकोह को अगर गद्दी मिल गई तो इस्लाम खतरे में आ जाएगा। 

इतिहास में जिक्र आता है कि दारा शिकोह को प्रशासन और सैन्य मामलों में बहुत रुचि नहीं थी। उनमें तमाम गुण थे और उनकी शादी उस दौर में काफी महंगी हुई थी। लेकिन अपने आखिरी समय में दारा को काफी कष्ट सहना पड़ा। 
फ्रेंच इतिहासकार फ्रांसुआ बर्नियर ने अपनी किताब ‘ट्रेवल्स इन द मुगल इंडिया’ में लिखा है कि दारा शिकोह को युद्ध में हराने के बाद औरंगजेब ने उसकी बेइज्जती करने के लिए छोटी हथिनी पर बिना ढके जनता के सामने घुमाया था। इस दौरान सैनिकों को आदेश था कि अगर दारा भागने की कोशिश करे तो उसका सिर धड़ से अलग कर दिया जाए। इससे भी औरंगजेब का मन नहीं भरा तो उसने दारा के कटे हुए सिर को देखने की इच्छा जाहिर की। कटे सिर को देखने के बाद औरंगजेब ने आदेश दिया था कि इस सिर को दिल्ली के रास्तों पर घुमाया जाए।

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