Atal Bihari Vajpayee: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की आज चौथी पुण्यतिथि है। वो देश के तीन बार प्रधानमंत्री रहे। पहली बार वो मात्र 13 दिनों के प्रधानमंत्री रहे उअर दूसरी बार वो 13 महीनों तक पीएम रहे और आखिरी बार अर्थात 1999 से सन 2004 तक वे पूरे 5 सालों तक पीएम रहे। वो देश के पहले ऐसे गैरकांग्रेसी पीएम थे, जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया था।
अटल बिहारी वाजपेई को न केवल एक गंभीर राजनेता के तौर पर जाना जाता था बल्कि वो एक बेहतरीन लेखक और कवि थे। सदन और सदन के बाहर उनकी कही गई कई कविताएं लोग आज भी गुगुनाते हैं। बीजेपी की सभाओं में उनकी कविताओं की रिकॉर्डिंग बजाई जाती है। इसके साथ ही उनकी हाजिर जवाबी का हर कोई कायल था। इसकी बानगी तब देखने को मिली जब उन्होंने एक पाकिस्तानी पत्रकार से दहेज़ में पूरा पाकिस्तान ही मांग लिया।
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पाकिस्तानी पत्रकार ने रखा अटल बिहारी वाजपेई से शादी का प्रस्ताव
एक बार पाकिस्तानी महिला पत्रकार ने प्रेस कांफ्रेंस में उनसे शादी का प्रस्ताव रख दिया। जिसके बाद उनकी हाजिर जवाबी से पूरा माहौल ही बदल गया और पूरा हॉल हंसी के ठहाकों से गूंज उठा। हुआ यूं कि उस महिला पत्रकार ने उनके सामने एक सार्वजनिक तौर पर शादी का प्रस्ताव रख दिया और मुंह दिखाई की रस्म अदायगी में कश्मीर मांग लिया। पत्रकार के इस प्रस्ताव से पूरे हॉल में सन्नाटा पसार गया। अन्य पत्रकारी के मुंह चिंता की लकीरें पसर गईं। इसके जवाब में पूर्व पीएम ने पाकिस्तान की महिला पत्रकार से ही दहेज के रूप में पूरा पाकिस्तान मांग लिया था। अटल जी के इस जवाब के बाद ठहाकों की गूंज के बीच पाकिस्तानी महिला पत्रकार भी मुस्कुराने पर मजबूर हो गईं।
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अमृतसर से लाहौर के बीच बस सेवा शुरू करने के बाद आयोजित हुई थी प्रेस कांफ्रेंस
दरअसल यह किस्सा वर्ष 1999 का है, प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठने के बाद अटल बिहारी वाजपेई ने पाकिस्तान के साथ रिश्तों को मधुर बनाने के लिए अमृतसर से लाहौर के बीच बस सेवा शुरू की थी। वह खुद भी इसी बस से पाकिस्तान पहुंचे, जहां अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) का जोरदार स्वागत हुआ। स्वागत के बाद मीडिया के साथ एक संवाद रखा गया था और यहीं उनसे मुंह दिखाई में कश्मीर मांगा गया जिसके बाद उन्होंने दहेज़ में पूरा पाकिस्तान ही मांग लिया।
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अगस्त 2018 में हुआ था निधन
गौरतलब है कि अटल बिहारी वाजपेयी का निधन 16 अगस्त, 2018 को हुआ था। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को कामयाबी के शिखर पर ले जाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। नब्बे के दशक में वह पार्टी का मुख्य चेहरा बनकर उभरे और केंद्र में पहली बार भाजपा के नेतृत्व में सरकार बनी। प्रधानमंत्री के तौर पर वाजपेयी के कार्यकाल के दौरान देश में उदारीकरण को बढ़ावा मिला और बुनियादी ढांचे तथा विकास को गति मिली।
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