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Hindi News भारत राष्ट्रीय जयंती विशेष: पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने सदन में सुनाया था नेहरू से जुड़ा ऐसा किस्सा, मुरीद हो गए थे विरोधी

जयंती विशेष: पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने सदन में सुनाया था नेहरू से जुड़ा ऐसा किस्सा, मुरीद हो गए थे विरोधी

भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की आज 98वीं जयंती है। इस मौके पर पूरा देश उनको याद कर रहा है। यहां हम आपको नेहरू से जुड़े उस किस्से के बारे में बता रहे हैं, जिसे सदन में अटल ने सुनाया था और उनके विरोधी भी इस बात के मुरीद हो गए थे।

Atal Bihari Vajpayee- India TV Hindi Image Source : FILE पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी

नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज 98वीं जयंती है। इस मौके पर बीजेपी समेत पूरे देश में उनके प्रशंसक उन्हें याद कर रहे हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सदैव अटल समाधि स्थल पर जाकर उनको श्रद्धांजलि अर्पित की है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्री अमित शाह ने भी सदैव अटल समाधि स्थल पर उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की है।

पीएम मोदी ने रविवार को पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा, 'अटल जी को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि। भारत के लिए उनका योगदान अमिट है। उनका नेतृत्व और दृष्टिकोण लाखों लोगों को प्रेरित करता है।

3 बार रहे देश के प्रधानमंत्री

अटल का जन्म साल 1924 में आज ही के दिन हुआ था। वह भारतीय जनता पार्टी के संस्थापकों में एक थे और तीन बार देश के प्रधानमंत्री बने। उनका पहला कार्यकाल 1996 में मात्र 13 दिनों का था। इसके बाद, वह 1998 में फिर प्रधानमंत्री बने और 13 महीने तक इस पद को संभाला। साल 1999 में वह तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने। वह पहले ऐसे गैर-कांग्रेसी नेता थे, जिन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में अपना कार्यकाल पूरा किया।

जब सदन में सुनाया नेहरू का किस्सा

एक बार अटल बिहारी वाजपेयी ने सदन में पंडित नेहरू के साथ अपने संबंधों को लेकर एक किस्सा सुनाया था। वह यह बता रहे थे कि राजनीतिक मतभेदों के बावजूद वह पंडित नेहरू का कितना सम्मान करते थे। अटल ने कहा, ' कांग्रेस के मित्र शायद भरोसा नहीं करेंगे। साउथ ब्लॉक में एक नेहरू जी का चित्र लगा रहता था। मैं आते-जाते देखता था। नेहरू जी के साथ सदन में नोंक झोक भी हुआ करती थी।' 

अटल ने कहा, 'मैं नया था, पीछे बैठता था। कभी-कभी बोलने के लिए मुझे वॉकआउट करना पड़ता था। लेकिन धीरे-धीरे मैंने जगह बनाई और आगे बढ़ा। जब मैं विदेश मंत्री बन गया तो एक दिन मैंने गलियारे में देखा कि नेहरू जी का टंगा हुआ फोटो गायब है। मैंने कहा कि ये चित्र कहां गया। कोई उत्तर नहीं दिया, वो चित्र वहां फिर से लगा दिया गया। क्या इस भावना की कद्र है? क्या देश में यह भावना पनपे? ऐसा नहीं है कि नेहरू जी से मतभेद नहीं थे। मतभेद चर्चा में गंभीर रूप से उभरकर सामने आते थे। मैंने एक बार पंडित जी से कह दिया था कि आपका एक मिला-जुला व्यक्तित्व है। आपमें चर्चिल भी है और चैंबरलेन भी है। वह नाराज भी नहीं हुए। शाम को किसी बैंकेट में मुलाकात हुई तो उन्होंने कहा कि आज तो बड़ा जोरदार भाषण दिया और हंसते हुए चले गए। आज कल ऐसी आलोचना करो तो ये दुश्मनी को दावत देना है।'

 

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