नॉर्थ लखीमपुर (असम): असम के लखीमपुर जिले की एक अदालत ने एक नाबालिग लड़की के कथित यौन शोषण से संबंधित मामले में शुक्रवार को, विख्यात अन्वेषक और पद्मश्री से पुरस्कृत उद्धव कुमार भराली को न्यायिक हिरासत में भेज दिया। गौहाटी उच्च न्यायालय द्वारा अंतरिम अग्रिम जमानत रद्द किये जाने के एक दिन बाद भराली ने नॉर्थ लखीमपुर में जिला विशेष न्यायाधीश रश्मिता दास के सामने समर्पण कर दिया। अदालत ने भराली को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। इसके बाद उन्हें जिला कारागार, नॉर्थ लखीमपुर में ले जाया गया। भराली को विज्ञान और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में योगदान के लिए 2019 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।
उन्होंने दावा किया है कि उन्हें साजिश के तहत फंसाया जा रहा है और वह इसका जवाब कानूनी तरीके से देंगे। भराली को मिली अंतरिम अग्रिम जमानत गौहाटी उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को रद्द कर दी थी। मामला एक नाबालिग लड़की के यौन शोषण का है जिसका पालन पोषण भराली कर रहे थे। अदालत ने अंतरिम अग्रिम जमानत रद्द करते हुए कहा कि भराली को हिरासत में लेकर पूछताछ करना आवश्यक है।
याचिकाकर्ता और राज्य के वकीलों की दलील सुनने के बाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति हितेश कुमार सरमा ने कहा कि प्राथमिकी में दर्ज आरोप और पीड़िता तथा प्रत्यक्षदर्शियों के बयान के मद्देजर, मामले की जांच के लिए भराली को हिरासत में लेकर पूछताछ करना जरूरी है। न्यायमूर्ति सरमा ने आदेश देते हुए केस डायरी और नाबालिग पीड़िता तथा दो अन्य नाबालिग चश्मदीदों के बयान का संज्ञान लिया जिन्होंने कहा था कि याचिकाकर्ता ने न केवल पीड़िता बल्कि कुछ अन्य लड़कियों के साथ भी यौन संबंध बनाए थे जिनका वह पालन पोषण कर रहा था।
भराली के नाम 150 नवाचार हैं और उन पर भारतीय दंड संहिता तथा ‘यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण’ अधिनियम (पॉक्सो) के तहत नॉर्थ लखीमपुर पुलिस थाने में मामला दर्ज है। आरोपी को 28 दिसंबर को उच्च न्यायालय की अवकाश पीठ ने अग्रिम जमानत दी थी। नॉर्थ लखीमपुर स्थित अपने आवास से जिला अदालत जाने से पहले भराली ने संवाददाताओं से कहा, “मुझे साजिश के तहत फंसाया जा रहा है। मेरी जमानत याचिका खारिज हो चुकी है इसलिए मेरे पास समर्पण करने के अलावा कोई रास्ता नहीं है। मैं आज मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश होऊंगा।”
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