Assam News: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने असम सरकार को 6 महीने पहले मोरीगांव जिले के एक थाने के अंदर हुए मारपीट के मामले में पीड़ित लड़के को 25,000 रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया है। अधिकारियों ने गुरुवार को इसकी जानकारी दी।
4 हफ्ते के अंदर भुगतान करने का निर्देश
उन्होंने बताया कि एनएचआरसी के उप-पंजीयक (कानून) इंद्रजीत कुमार ने बुधवार को असम के मुख्य सचिव पवन कुमार बोरठाकुर को लिखे पत्र में राज्य सरकार से आरोपी पुलिस अधिकारी के खिलाफ अभियोजन कार्यवाही शुरू करने और चार सप्ताह के भीतर 13 वर्षीय लड़के को मुआवजे का भुगतान करने को कहा।
नाबालिग लड़के की थाने के अंदर डंडे से की थी पिटाई
लाहौरीजन थाने के सहायक पुलिस उप-निरीक्षक उपेन बोरदोलोई ने इस साल 9 मार्च को थाने के अंदर सबूत के तौर पर खड़े एक जब्त वाहन से कुछ सामान निकालने की कोशिश कर रहे लड़के को पकड़ लिया। बाद में सोशल मीडिया पर एक वीडियो आया, जिसमें अधिकारी नाबालिग लड़के को थाने के अंदर डंडे से बार-बार पीटता दिखाई दे रहा था। गुवाहाटी निवासी मोनोजीत सिंघा की शिकायत के बाद एनएचआरसी ने यह निर्देश दिया है।
नाबालिग लड़के को पीटना मानवाधिकारों का उल्लंघन
NHRC के आदेश के अनुसार, पुलिस अधिकारी द्वारा एक नाबालिग लड़के को पीटना मानवाधिकारों के उल्लंघन को दर्शाता है। पत्र के अनुसार, राज्य पुलिस अधिकारियों द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में उस घटना की घटना को स्वीकार किया गया है जिसमें लोक सेवक को दोषी पाया गया है। मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम की धारा-18 के तहत मुख्य सचिव को एक कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था, जिसमें उनसे पूछा गया था कि आयोग द्वारा पीड़ित को भुगतान करने के लिए 25,000 रुपये की अंतरिम राहत की सिफारिश क्यों नहीं की जानी चाहिए।
कारण बताओ नोटिस पर अब तक नहीं मिला जवाब
आदेश के अनुसार, ‘‘आयोग द्वारा 22 जुलाई को जारी कारण बताओ नोटिस के सिलसिले में अब तक कोई जवाब नहीं मिला है। इसलिए, ऐसा प्रतीत होता है कि संबंधित प्राधिकारी को वर्तमान मामले के पीड़ित को मुआवजे के भुगतान के संबंध में कुछ नहीं कहना है।’’ आदेश के मुताबिक, असम सरकार द्वारा अपने मुख्य सचिव के माध्यम से पीड़ित बच्चे को 25,000 रुपये के भुगतान की सिफारिश की जाती है। आयोग ने मुख्य सचिव को चार सप्ताह में मुआवजे की राशि का वितरण सुनिश्चित करने और 22 अक्टूबर तक मुआवजा राशि भुगतान के प्रमाण के साथ अनुपालन रिपोर्ट आयोग के समक्ष प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया।
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