नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘आत्मनिर्भर भारत’ का नारा अब रक्षा के क्षेत्र में भी तेजी से साकार हो रहा है। नागपुर की सोलर इंडस्ट्रीज के द्वारा विकसित किया गया पहला स्वदेशी लोइटर म्यूनिशन नागास्त्र-1 भारतीय सेना में शामिल होने के लिए तैयार है। लोइटर म्यूनिशन को आसान भाषा में सुसाइड ड्रोन या आत्मघाती ड्रोन भी कह सकते हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सेना ने सोलर इंडस्ट्रीज की सब्सिडियरी कंपनी इकोनॉमिक एक्सप्लोसिव्स लिमिटेड यानी कि EEL को 480 ऐसे ड्रोन का ऑर्डर दिया था, जिनमें से 120 नागास्त्र-1 ड्रोन सेना के गोला-बारूद डिपो को सौंप दिए गए हैं।
200 मीटर से ज्यादा की ऊंचाई पर दुश्मन को नहीं आएगा नजर
बता दें कि नागास्त्र-1, ‘कामिकेज़ मोड’ में 2 मीटर की सटीकता के साथ सटीक हमला करके दुश्मन के किसी भी ठिकाने को बर्बाद कर सकता है। 9 किलोग्राम वजन वाला यह ब्रह्मास्त्र 30 मिनट मिनट तक उड़ान भर सकता है और इसकी मैन-इन-लूप रेंज 15 किमी और ऑटोनॉमस मोड रेंज 30 किमी है। इस मैन-पोर्टेबल फिक्स्ड-विंग इलेक्ट्रिक यूएवी में इलेक्ट्रिक प्रपल्सन सिस्टम लगा है जिसकी वजह से 200 मीटर से ज्यादा की ऊंचाई पर यह दुश्मन देशों के रडार में नहीं आ पाता। नागास्त्र दिन और रात में निगरानी करने वाले कैमरों के अलावा 1 किलोग्राम के खतरनाक बारूदी वॉरहेड से लैस है।
मिशन निरस्त होने पर वापस भी बुलाया जा सकता है नागास्त्र
लक्ष्य का पता न लगने या मिशन के निरस्त होने की स्थिति में नागास्त्र-1 को वापस बुलाया जा सकता है और पैराशूट रिकवरी मैकेनिज़्म के साथ सॉफ्ट लैंडिंग की जा सकती है।इसमें ग्राउंड कंट्रोल स्टेशन, संचार नियंत्रण, पेलोड और न्यूमेटिक लॉन्चर जैसे फीचर्स हैं। इस आत्मघाती ड्रोन का कुल वजन 30 किलोग्राम है। बता दें कि ड्रोन तकनीक हाल की लड़ाइयों में काफी असरदार साबित हुई है क्योंकि इसकी वजह से दुश्मन को आसानी से बड़ी चोट दी जा सकती है। ड्रोन हथियारों का असरदार इस्तेमाल रूस-यूक्रेन और इजरायल-हमास समेत कई लड़ाइयों में देखने को मिला है।
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