World News: रूस और यूक्रेन के बीच तकरीबन 6 महीने से जंग चल रही है। इसी बीच मीडिया में एक खबर सुर्खियां बटों रही है कि रूस के हथियारों में अब वो बात नहीं रही जो पहले कभी हुआ करती थी। सैन्य जानकारों के मुताबिक, रूस के पास जो हथियार है उनमें ऐसे कई हथियार है जो सोवियत समय के है। इतने पुराने हथियारों के ऊपर रूस की सेना टिकी हुई है। अब तक इन हथियारों को अपग्रेड भी नहीं किया गया है। कई सैन्य जानकार कहना है कि अब रूसी हथियार कबाड़ में बदल गए हैं। इसका उदाहरण चल रहे यूक्रेन युद्ध में देखने को मिला।
एक जमाने था राजा
रूस ने दुनिया को टी-34 जैसा बेहतरीन और सफल टैंक दिया, जो दुनिया का पहला आधुनिक युद्धक टैंक था। इस टैंक में जो सस्पेंशन लगाया गया था, उसे अमेरिका के जे वाल्टर क्रिस्टी ने डिजाइन किया था। इसके अलावा रूस ने कई प्रभावी युद्धपोत, परमाणु पनडुब्बी, लड़ाकू और बमवर्षक विमान, मिसाइल रक्षा प्रणाली और सभी प्रकार के रॉकेट और मिसाइल विकसित किए हैं। जब अमेरिका रक्षा हथियारों की बाजार निर्माण करने में लगा था तब रूस ने पूरी दुनिया में एक अपने हथियार बेच रहा था। 1970 और 1980 के दशक से रूस रक्षा बाजार का राजा हुआ करता था।
लगातार रक्षा बजट कम करते रहा
आपको बता दें कि अमेरिका ने 1982 में बराबरी करने का प्रयास किया था। जिसके बाद रक्षा बजट को घटाकर जीडीपी का 6.8 फीसदी कर दिया था। कुछ समय तक यह आंकड़ा वही रहा और फिर वर्ष 2000 में इसे कम कर दिया। सोवियत संघ के टूटने के बाद रक्षा बजट में भी 3.2 प्रतिशत की गिरावट देखी गई। अमेरिका को उन्नत तकनीक होने का फायदा है। उनके पास ऐसी तकनीक है जो माइक्रो-इलेक्ट्रॉनिक्स और कंप्यूटर से संबंधित है। ऐसी सामग्रियां हैं जो जेट इंजन के निर्माण के साथ-साथ विमान और मिसाइलों के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं।
हथियारों को अपग्रेड करने की जरुरत
सोवियत संघ के टूटने के साथ ही रूस को हथियार के बाजारों में बहुत जोर से घक्का लगा। रूस का रक्षा उद्योग पूरी तरह से बर्बाद हो गया था। उस समय रूस की आर्थिक स्तिथि एकदम से चरमरा गई थी। दुनिया में रूबल गिर गई थी। रक्षा उद्योग के खत्म होने से हजारों कर्मचारियों की नौकरी चली गई थी 1991 से 2010 तक रूस ने सेना पर जीडीपी का दो प्रतिशत से भी कम खर्च किया। जिसका असर देश की जीडीपी पर भी देखने को मिला। जब तेजी से अमेरिका अपनी रक्षा उद्योग विस्तार कर रहा था उस समय रूस अपनी रक्षा बजट कम रहा था। अब ऐसा हो गया है कि अटैक जेट्स से लेकर एयरक्राफ्ट मिसाइल पोजिशनिंग सिस्टम तक, सब कुछ पुराना है और हथियारों को अपग्रेड करना होगा।
चीन से निर्भरता करनी होगी कम
नई व्यवस्था के लिए रूस को पश्चिमी देशों की ओर रुख करना पड़ा। उन्हें इलेक्ट्रॉनिक्स, कैमरा और सेंसर के लिए दूसरे देशों की ओर देखना पड़ा। रूस में अच्छे थर्मल सेंसर से लेकर इंफ्रारेड रडार तक का अभाव है। रूसी ड्रोन पश्चिमी और चीनी इलेक्ट्रॉनिक्स से बने होते हैं और इनमें बहुत कम रूसी भाग होते हैं। युद्ध के लिए उपयोग किए जाने वाले सिक्योर फोन गैर-रूसी माइक्रोप्रोसेसर और ग्राफिक्स इंजन पर आधारित होते हैं। रूस फिलहाल अमेरिकी सॉफ्टवेयर और ऑपरेटिंग सिस्टम की मदद से हथियार तैयार कर रहा है।
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