यह दुखद इत्तेफाक है कि आज सिर्फ साल और तारीख बदली है, लेकिन ट्रेन, जगह, दिन और हादसा वही है। दरअसल, 14 साल बाद एक बार फिर कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन हादसे की चपेट में आ गई। ओडिश के बालासोर में कोलकाता के हावड़ा स्टेशन से तमिलनाडु के चेन्नई जाने वाली शालीमार-चेन्नई कोरोमंडल एक्सप्रेस और बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस से टक्कर हो गई। इसके बाद कोरोमंडल के पटरी से उतरे डिब्बे वहां खड़ी एक मालगाड़ी से टकरा गए। इस हादसे में अब तक 288 लोगों के मरने की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 900 से ज्यादा लोग घायल हो गए। शुक्रवार शाम की इस दुर्घटना ने साल 2009 की फिर से याद दिला दी है।
तब ट्रेन के 16 डिब्बे पटरी से उतर गए थे
दरअसल, 13 फरवरी 2009 को ओडिशा के जाजपुर रोड के पास कोरोमंडल एक्सप्रेस दुर्घटनाग्रस्त हुई थी। उस हादसे में 16 यात्रियों की मौत हो गई थी और 161 घायल हो गए थे। हादसा उस वक्त हुआ था जब ट्रेन हावड़ा से चेन्नई की ओर 100 किमी/घंटा की स्पीड से आ रही थी। ओडिशा के जाजपुर में ट्रेन के 16 डिब्बे पटरी से उतर गए थे। ये हादसा भी शुक्रवार को करीब रात के 8 बजे हुआ था। 13 फरवरी 2009 को दिन शुक्रवार था और 2 जून को जब ये ट्रेन फिर से हादसे का शिकार हुई उस दिन भी शुक्रवार रहा। जगह भी ओडिशा थी। ट्रेन, जगह, दिन ने 14 साल बाद फिर से इतिहास को दोहराया है।
उस वक्त हादसे में 16 लोगों की हुई थी मौत
इस ट्रेन के लिए शुक्रवार 'ब्लैक फ्राइडे' साबित हुआ। उस वक्त हादसे में 16 लोगों की मौत हो गई थी। अब 288 लोगों की मौत हो चुकी है, ये आंकड़े अभी बढ़ भी सकते हैं। 2 जून को हुए हादसे ने 14 साल पहले हुए हादसे की याद को फिर से ताजा कर दिया। बता दें कि ताजा हादसे में ओडिशा के बालासोर में तीन ट्रेनों की भयानक टक्कर के बाद मरने वालों की संख्या 288 पर पहुंच गई है। शुक्रवार देर शाम बालासोर के पास शालीमार-चेन्नई कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन, बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस और एक मालगाड़ी हादसे का शिकार हो गई।
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