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Hindi News भारत राष्ट्रीय बुलेट की धक-धक और स्पोर्ट्स बाइक से पटाखे फोड़ने वाले न देखें यह वीडियो, दिल तोड़ देगा बुलडोजर

बुलेट की धक-धक और स्पोर्ट्स बाइक से पटाखे फोड़ने वाले न देखें यह वीडियो, दिल तोड़ देगा बुलडोजर

तेज आवाज करने वाली बुलेट और स्पोर्ट्स बाइक के जरिए पटाखे फोड़ने का चलन तेजी से बढ़ा है। इस बीच एक वीडियो सामने आया है, जिसमें बुलडोजर से इन साइलेंसर को रौंदा जा रहा है।

bulldozer on modified exhausts- India TV Hindi Image Source : X/ANI साइलेंसर कुचलता बुलडोजर

आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम से बाइक के साइलेंसर (एग्जॉस्ट) को रौंदने का एक वीडियो सामने आया है। इस वीडियो में देखा जा सकता है कि सड़क के बीच सैकड़ों साइलेंसर रखे हुए हैं। एक लाइन में रखे इन साइलेंसर के ऊपर बुलडोजर (रोड रोलर) चलाया जा रहा है। बुलडोजर के नीचे आते ही साइलेंसर सड़क से चिपक जा रहे हैं। साइलेंसर को रोड रोलर से कुचलने का फैसला आंध्र प्रदेश पुलिस ने ही किया था। पुलिस के अनुसार जिन साइलेंसर को नष्ट किया गया वह मॉडिफाइड थे और तेज आवाज करते थे।

पुलिस ने सड़क के बीच इन साइलेंसर को इसी उद्देश्य के साथ नष्ट किया ताकि लोगों को ध्वनि प्रदूषण के प्रति जागरुक किया जा सके और ट्रैफिक के नियम मानने के लिए प्रेरित किया जा सके। इसके साथ ही जो लगा अपनी गाड़ी में ऐसे मॉडिफाइड साइलेंसर लगवाना चाहते हैं। उनके अंदर पुलिस का डर बैठे और वह ऐसा करने से बचें।

बड़ी समस्या है ध्वनि प्रदूषण

भारत में ध्वनि प्रदूषण बड़ी समस्या बन चुका है। खासकर सड़कों पर बहुत ज्यादा शोर होता है। इसकी सबसे बड़ी वजह गाड़ियों का हॉर्न होता है। भारत में लोगों के अंदर बेवजह हॉर्न बजाने के प्रवृत्ति बहुत ज्यादा है। इसके लिए दुनियाभर में भारतीय ड्राइवरों का मजाक भी बनता है। ताइवान की कंपनी गोरगोरो इलेक्ट्रिक बाइक के मालिक ने भारत में गाड़ी लॉन्च के दौरान कहा था कि भारतीय लोग राडार की तरह हॉर्न का इस्तेमाल करते हैं।

हॉर्न के अलावा मॉडीफाइड साइलेंसर भी ध्वनि प्रदूषण की बड़ी वजह हैं। खासकर बुलेट जैसी गाड़ियों में लोग मॉडीफाइड साइलेंसर लगवाते हैं, जिससे काफी ज्यादा आवाज निकलती है। इससे सड़क पर चलने वाले अन्य लोगों को खासी परेशानी होती है। इसके अलावा गाड़ी के जरिए पटाखे फोड़ने का चलन भी बढ़ा है। कई बार शरारती लोग भीड़ भाड़ वाले इलाकों में या अंडर ब्रिज के नीचे ऐसा करते हैं। इसके कारण हादसे भी होते हैं। इन्हीं घटनाओं को रोकने के लिए आंध्र प्रदेश पुलिस ने यह कदम उठाया है।

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