केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को पाकिस्तान पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा कि कुछ देश बार-बार आतंकवाद का समर्थन कर रहे हैं और उन्होंने इसे अपनी सरकारी नीति बना लिया है। शाह ने इन “आतंकवाद की पनाहगाहों” के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंध की जरूरत को रेखांकित किया। उन्होंने यह भी कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अपने भू-राजनीतिक हितों से ऊपर उठकर इन देशों से निपटने के तरीके को लेकर अपना मन बनाना होगा और तेजी से जटिल और व्यापक होते इस खतरे के खिलाफ “कंधे से कंधा मिलाकर” लड़ाई जारी रखनी होगी। शाह ने आतंकवाद के वित्तपोषण के खिलाफ आयोजित तीसरे ‘नो मनी फॉर टेरर’ सम्मेलन को संबोधित करते हुए ये बातें कहीं।
कोई देश आतंकवाद से अकेले नहीं निपट सकता: विदेश मंत्री
इसी कार्यक्रम में विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने भी इसी तरह के विचार प्रकट किए। शाह ने कहा, “कोई भी देश या संगठन अकेले आतंकवाद से नहीं निपट सकता।” जयशंकर ने आतंकवाद से निपटने के लिए एक ‘‘एकसमान और ठोस’’ दृष्टिकोण की वकालत की और राष्ट्रों से इस खतरे से निपटने के लिए राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठने का आग्रह किया।
विदेश मंत्री ने आतंकवाद के कारण वैश्विक सुरक्षा और स्थिरता के अस्तित्व के सामने मौजूद खतरों को उजागर करने के लिए भारत और समान विचारधारा वाले देशों की प्रतिबद्धता के बारे में बात करते हुए कहा, ‘आतंक, आतंक है और इसे कभी सही नहीं ठहराया जा सकता। हम इस संकट और इसे पोषित करने व आगे बढ़ाने वालों उजागर करते रहेंगे।'
अंतरराष्ट्रीय संगठनों के 450 प्रतिनिधियों ने भाग लिया
शाह और जयशंकर ने आतंकवाद के वित्तपोषण के खिलाफ आयोजित तीसरे ‘नो मनी फॉर टेरर’ सम्मेलन को संबोधित करते हुए ये बातें कहीं। शनिवार को समाप्त हुए इस दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन गृह मंत्रालय ने किया था और इसमें 75 से अधिक देशों व अंतरराष्ट्रीय संगठनों के 450 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
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