यूनिफार्म सिविल कोड यानी कि समान नागरिक संहिता का मुद्दा इन दिनों सियासत में लू की तरह चल रहा है। इस पर हर राजनीतिक दल के नेताओं से लेकर धार्मिक संगठन के लोग एक के बाद एक बयानबाजी कर रहे हैं। अब यूनिफार्म सिविल कोड पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना सैफुल्लाह रहमानी ने अपनी राय सामने रखी है। उन्होंने कहा कि भारत में बसने वाले लोगों के लिए यूनिफार्म सिविल कोड मुनासिब नहीं है।
"कुछ वक्त के सियासी फायदे के लिए..."
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष ने UCC को लेकर कहा कि संविधान बनाने वालों ने मजहबी आजादी को बरकरार रखा था। कुछ वक्त के सियासी फायदे के लिए इसके साथ छेड़छाड़ ठीक नहीं है। मौलाना सैफुल्लाह ने कहा कि हम इस मुद्दे पर लॉ कमीशन को अपनी राय देंगे। अगर लॉ कमीशन मिलने के लिए टाइम देगा तो मिलने भी जाएंगे। हम उत्तराखंड के सिविल कोड के ड्राफ्ट को हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं।
"सब पर एक कानून थोपना उसूलों के खिलाफ"
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष सैफुल्लाह रहमानी ने आगे कहा कि लोकतांत्रिक देश में किसी पर एक कानून थोपना उसूलों के खिलाफ है। जैसे साउथ इंडिया में हिंदू धर्म को मानने वाले मामा-भांजी से शादी करते हैं लेकिन ये नार्थ इंडिया में नहीं होता है। ऐसे बहुत से मामले में है जिनमें इस कानून के तहत विरोध नजर आएगा।
"UCC किसी के भी हक में नहीं है"
वहीं इस मुद्दे पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना फजलुर्रहीम मुजद्ददी ने कहा कि हम यूनिफार्म सिविल कोड का विरोध पहले भी करते रहे हैं, अब भी कर रहे हैं। यूनिफार्म सिविल कोड किसी के भी हक में नहीं है।
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