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Hindi News भारत राष्ट्रीय 'दुनिया की बुरी ताकतों का पतन भारत में होता है', मोहन भागवत ने किस पर साधा निशाना?

'दुनिया की बुरी ताकतों का पतन भारत में होता है', मोहन भागवत ने किस पर साधा निशाना?

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी RSS के प्रमुख मोहन भागवत ने अमेरिका, बांग्लादेश समेत कई मुद्दों पर बड़े बयान दिए हैं। मोहन भागवत ने कहा है कि बुरी ताकतें दुनिया भर में मौजूद हैं।

RSS प्रमुख मोहन भागवत।- India TV Hindi Image Source : PTI RSS प्रमुख मोहन भागवत।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने हाल के दिनों में दुनियाभर में जारी उथल-पुथल वाले माहौल पर बड़ा बयान दिया है। मोहन भागवत ने कहा है कि दुनिया के बाकी हिस्सों में पनपने वाली बुरी ताकतों का पतन भारत में होता है। मोहन भागवत ने कहा है कि बुरी ताकतें दुनिया भर में मौजूद हैं, और उनके बुरे काम हर जगह जारी हैं। आइए जानते हैं कि आरएसएस प्रमुख ने किस परिपेक्ष्य में ये बयान दिया है। 

बांग्लादेश पहला मामला नहीं- मोहन भागवत

दरअसल बुधवार को मोहन भागवत सद्गुरु समूह द्वारा आयोजित वेदसेवक सम्मान सोहाला को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि बांग्लादेश पहला मामला नहीं है। पहला मामला अमेरिका का है। मैंने एक अमेरिकी लेखक द्वारा लिखी गई किताब पढ़ी जिसका शीर्षक है ‘कल्चरल डेवलपमेंट ऑफ अमेरिका’, जिसमें उन्होंने पिछले 100 वर्षों में अमेरिका के सांस्कृतिक पतन पर चर्चा की है। उन्होंने कहा कि यह पतन पोलैंड में दोहराया गया, फिर अरब देशों में ‘अरब क्रांति’ के रूप में, और हाल ही में यह बांग्लादेश में हुआ।

भारत में इन ताकतों का पतन होता है- मोहन भागवत

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि जो लोग दुनिया पर अपनी पकड़ मजबूत करना चाहते हैं और मानते हैं कि वे ही सही हैं, जबकि अन्य गलत हैं, ऐसी अभिमानी प्रवृत्तियां लोगों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा करना चाहती हैं और इससे लाभ उठाना चाहती हैं। भागवत ने कहा कि ऐसी प्रवृत्तियों के कारण ‘आपदाएं’ आती हैं और राष्ट्र बर्बाद हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि हमें बिना किसी डर के ऐसी प्रवृत्तियों पर नजर रखने की जरूरत है। इतिहास बताता है कि ऐसी ताकतें उभरती हैं और अंततः भारत तक पहुंचती हैं और यहां उनका पतन होता है।

शिक्षित वर्ग में आजकल अनास्था बढ़ रही- RSS प्रमुख

कार्यक्रम में मोहन भागवत ने ये भी कहा कि खासकर शिक्षित वर्ग में आजकल अनास्था और अश्रद्धा बढ़ रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि उनके पास अनुकरण करने के लिए कोई उदाहरण नहीं है। मोहन भागवत ने कहा कि अस्पृश्यता का शास्त्रों में कोई स्थान नहीं है, लेकिन यह व्यवहार में मौजूद है। उन्होंने पूछा कि अगर कोई हिंदू धर्म के ऐसे अड़ियल व्यवहार से तंग आकर दूसरे धर्म में धर्मांतरण करता है, तो इसके लिए किसे दोषी ठहराया जाए। (इनपुट: भाषा)

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