"अब PM अडानी का नाम लेने से भी डरते हैं", BBC दफ्तर में IT सर्वे को लेकर ओवैसी का आया बयान
ओवैसी ने कहा कि फ्रीडम ऑफ प्रेस होनी चाहिए। यदि प्रेस सिर्फ सत्तारूढ़ दल की तारीफ करने वाली खबरें दिखाएगा और सरकार की आलोचना करने वाली खबरों को नजरअंदाज करेगा, तो यह लोकतंत्र को कमजोर करेगा।
गुजरात दंगा से जुड़ी डॉक्यूमेंट्री 'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' को लेकर छिड़े विवाद के बाद बीबीसी के दिल्ली और मुंबई के दफ्तर में आयकर विभाग ने मंगलवार को छापेमारी की। बीबीसी के दफ्तरों में आयकर की टीम का आज बुधवार को भी सर्वे जारी रहा। इस सर्वे को लेकर विपक्षी पार्टियों की ओर से लगातार निंदा की जा रही हैं। इस बीच, अब एआईएमआईएम (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी का भी बयान सामने आया है।
भारत में BBC पर आईटी सर्वे को लेकर ओवैसी ने कहा, "फ्रीडम ऑफ प्रेस होनी चाहिए। यदि प्रेस सिर्फ सत्तारूढ़ दल की तारीफ करने वाली खबरें दिखाएगा और सरकार की आलोचना करने वाली खबरों को नजरअंदाज करेगा, तो यह लोकतंत्र को कमजोर करेगा। गुजरात में जो हुआ, उससे कौन इनकार कर सकता है... आज छापेमारी की जा रही है।"
एक बड़ी शख्सियत की 40% दौलत खत्म हो गई: ओवैसी
AIMIM प्रमुख ने कहा, "हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद भारत की एक बड़ी शख्सियत (अडानी) की 40% दौलत खत्म हो गई। वे (मोदी सरकार) सुप्रीम कोर्ट का बहाना बना रहे हैं। हम सोचते थे कि पीएम मोदी चीन का नाम लेने से डरते हैं, लेकिन अब वह उनका (अडानी का) नाम लेने से भी डरते हैं।"
कार्रवाई अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गलत संदेश भेज रही: मुफ्ती
गौरतलब है कि बीबीसी की डाक्यूमेंट्री 'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' को जारी करने के कुछ हफ्ते बाद ये कार्रवाई हुई है। विपक्ष ने इस कदम की जहां निंदा की है, तो वहीं बीजेपी ने बीबीसी पर भारत के खिलाफ जहरीली रिपोर्टिंग करने का आरोप लगाया है। पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा बीबीसी इंडिया के खिलाफ कार्रवाई अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गलत संदेश भेज रही है और लोकतंत्र के रूप में भारत की छवि को नुकसान पहुंचा रही है।
केंद्र सरकार का बदले की कार्रवाई है: ममता बनर्जी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बीबीसी इंडिया के कार्यालयों पर आयकर विभाग के सर्वे को बहुत दुर्भाग्यपूर्ण बताया और आरोप लगाया कि यह बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार काबदले की कार्रवाई है। उन्होंने आरोप लगाया कि भगवा पार्टी मीडिया को नियंत्रित कर रही है। इस तरह की कार्रवाइयां प्रेस की स्वतंत्रता को प्रभावित करती हैं।
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