भोपाल: अहमदाबाद की एक विशेष अदालत ने शहर में 2008 में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में 38 दोषियों को शुक्रवार को सजा-ए-मौत और 11 अन्य को उम्रकैद की सजा सुनायी। सफदर नागोरी, जो उन 38 दोषियों में से एक है, जिन्हें बम धमाकों के मामले में मौत की सजा सुनाई गई है। जेल के अधिकारियों ने बताया कि नागोरी को 56 लोगों की जान लेने वाली इस आतंकी वारदात के लिए सजा मिलने के बाद भी अपने कृत्य पर जरा-भी अफसोस नहीं है।
‘संविधान कोई मायने नहीं रखता’
जेल अधिकारियों ने बताया कि नागोरी को यह कहते हुए सुना गया कि संविधान उसके लिए कोई मायने नहीं रखता है। अभियोजन पक्ष के अनुसार, मध्य प्रदेश के उज्जैन का रहने वाला 54 वर्षीय नागोरी प्रतिबंधित स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) से जुड़ा था और अहमदाबाद धमाकों का मुख्य साजिशकर्ता था। अधिकारियों के मुताबिक, नागोरी अभी भोपाल की सेंट्रल जेल में बंद है और उसने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अहमदाबाद की विशेष अदालत में हुई सुनवाई में हिस्सा लिया।
‘कुरान के फैसले सबसे ऊपर हैं’
भोपाल सेंट्रल जेल के अधीक्षक दिनेश नरगावे ने बताया कि नागोरी ने मौत की सजा सुनाए जाने के तुरंत बाद कहा, ‘संविधान मेरे लिए कोई मायने नहीं रखता। मेरे लिए कुरान के फैसले सबसे ऊपर हैं।’ सूत्रों ने बताया कि सिमी के महासचिव रह चुके नागोरी पर अहमदाबाद धमाकों के लिए विस्फोटकों का इंतजाम करने और सिमी की अन्य अवैध गतिविधियों के लिए धन इकठ्ठा करने का आरोप लगाया गया था। उन्होंने बताया कि नागोरी के पिता मध्य प्रदेश पुलिस की अपराध शाखा में सहायक उप-निरीक्षक थे।
100 आपराधिक मामलों में आरोपी है
सूत्रों के मुताबिक, नागोरी लगभग 100 आपराधिक मामलों में आरोपी है और उसके खिलाफ उज्जैन के महाकाल पुलिस स्टेशन में 1997 में पहला आपराधिक मामला दर्ज किया गया था। सूत्रों ने बताया कि नागोरी को 26 मार्च 2008 को इंदौर के एक फ्लैट से गिरफ्तार किया गया था और तब से वह जेल में कैद है। (भाषा)
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