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Hindi News भारत राष्ट्रीय आप की अदालत: अपने पिता से बात क्यों नहीं करते थे गौर गोपाल दास? खुद बताई वजह और सुनाया किस्सा

आप की अदालत: अपने पिता से बात क्यों नहीं करते थे गौर गोपाल दास? खुद बताई वजह और सुनाया किस्सा

गौर गोपाल दास ने आप की अदालत में अपने पिता से जुड़ा एक दुखद किस्सा सुनाया। उन्होंने बताया कि वह अपने पिता से बात नहीं करते थे और बाद में उन्हें इस बात का मलाल रहा कि वह उनसे सॉरी नहीं कह पाए।

Gaur Gopal Das - India TV Hindi Image Source : INDIA TV आप की अदालत में गौर गोपाल दास

नई दिल्ली: इंडिया टीवी के लोकप्रिय कार्यक्रम आप की अदालत में इस बार के मेहमान गौर गोपाल दास थे। उन्होंने इस दौरान कई सवालों के जवाब दिए। उन्होंने अपने पिता के बारे में भी बात की और उनसे जुड़ी एक दुखद घटना का जिक्र किया। दरअसल गौर गोपाल दास के पिता का निधन साल 2009 में हो गया था। उन्होंने अपने पिता के निधन से पहले उनसे माफी न मांगने के लिए खेद व्यक्त किया।

गौर गोपाल दास ने पिता के बारे में क्या बताया?

गौर गोपाल दास ने बताया, 'मेरे पिताजी चेन स्मोकर थे जिसकी वजह से उनकी सेहत बहुत बिगड़ रही थी। हमने बहुत कोशिश की थी कि वह स्मोकिंग छोड दें, लेकिन उनसे नहीं हो पा रहा था। तब मैंने ये वाला पैतरा अपनाया कि बातें करना छोड़ देंगे। बातें करना छोड़ दिया।'

उन्होंने बताया, 'पिताजी बार-बार आते थे और कहते थे कि बेटा बात करो, बेटा बात करो, लेकिन मैं मुंह फेर लेता था। 2 साल बाद पिताजी मेरे पैरों में गिरे और कहा, बेटा मेरे साथ प्लीज…मेरे साथ रो रहे थे, बहुत। तब मेरी मां ने कहा, बेटा, पापा के साथ ऐसा नहीं करना चाहिए। पापा हैं, गलत भी होते हैं। कौन दूध का धुला है? इंसान हैं हम, बेटा बात करो।'

उन्होंने बताया, 'तो मैंने उस दिन बात करनी शुरू की, क्योंकि मां ने बोला था इसलिए। और एक हफ्ते के अंदर घर छोड़कर आश्रम चला गया। आश्रम से हर साल मिलने जाता था और हर साल सोचता था कि पिताजी को सॉरी कब बोलूंगा, और कभी नहीं बोल पाया।'

गौर गोपाल दास ने कहा, '2009 में मैं अपने लंदन के लेक्चर टूर से लौटकर आया था और एक दिन मेरी मां ने मुझे 01:30 बजे सुबह फोन किया। मां रो रही थी। कहने की जरूरत ही नहीं कि पिताजी चल बसे थे। लंदन जाने से पहले मैं पिताजी से मिलने गया था और उन्होंने कहा था कि बेटा तुम अपने लंदन वाले लेक्चर लाना मेरे लिए। लेक्चर का पेनड्राइव मैं ले गया। मेरे पिताजी की बॉडी सामने पड़ी थी। मैंने उनके हाथ में पेनड्राइव रखी। मैंने अपना सिर उनके चरणों में रखा और कहा, ‘पापा सॉरी, आपके साथ इस प्रकार का व्यवहार मुझे कभी नहीं करना चाहिए था।’

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