'आप की अदालत' में विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, "आज दुनिया में सिर्फ हम चीन के मुकाबले में आंख से आंख मिला कर खड़े हैं"
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि अगर दुनिया में कोई एक देश चीन के साथ हेड-टू-हेड मुकाबला कर रहा है तो वो भारत है.उस समय हमने इसकी ज्यादा चर्चा नहीं की थी क्योंकि हमें लगा कि ये राष्ट्र की सुरक्षा का मामला है.पब्लिक में डिबेट बने, इसमें हमारा फायदा नहीं होगा।
AAP KI ADALAT : विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड के समय चीन की सीमा पर 70 हजार जवानों को एयरलिफ्ट करके पहुंचाया था और "आज दुनिया में सिर्फ भारत है , जो चीन के मुकाबले में आंख से आंख मिला कर खड़ा है. " विदेश मंत्री रजत शर्मा के शो 'आप की अदालत' में सवालों के जवाब दे रहे थे. ये शो शनिवार रात 10 बजे इंडिया टीवी पर प्रसारित किया गया।
हमने 70,000 जवानों को एयरलिफ्ट किया
जयशंकर ने कहा- "कोविड के बावजूद अप्रैल-जून 2020 में हमने सेना भेजी. मोदी जी ने तय किया कि अगर हमें चीन से खतरा है तो हमें काउंटर डिप्लॉय करना चाहिए. उन्होंने उस समय पूरे एयर फोर्स और हमारे रेल सिस्टम और रोड सिस्टम की ताकत लगाई और केवल एयरफोर्स से हमने 70,000 जवानों को एयरलिफ्ट किया। हमने टैंक को भी एयरलिफ्ट किया। हमने जो बड़े बड़े गन, ट्रक, सबको वहां भेजा.मोदी जी जब सत्ता में आये तब तक बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर पर कोई ध्यान ही नहीं दे रहा था। उस समय यूपीए सरकार के समय रिकॉर्ड पर कहा गया कि अगर आप बॉर्डर को ऐसे ही छोड़ दें तो चीनी भी नहीं आ पायेगा। ये उनकी सोच थी। पिछले 10 साल में काफी प्रगति हुई है पर deploy करना इतना आसान नहीं था। तब भी 2020 में हमने हजारों की संख्या में वहां फौज हथियार के साथ भेजी, डिप्लॉयमेंट करवाया। तो अगर आज कोई वहां मुकाबला हो रहा है, ये मोदी सरकार के निर्णय के कारण हो रहा है... अगर दुनिया में कोई एक देश चीन के साथ हेड-टू-हेड मुकाबला कर रहा है तो वो भारत है.उस समय हमने इसकी ज्यादा चर्चा नहीं की थी क्योंकि हमें लगा कि ये राष्ट्र की सुरक्षा का मामला है.पब्लिक में डिबेट बने, इसमें हमारा फायदा नहीं होगा। तो सेना की मूवमेंट बहुत बड़ी संख्या में हुई.अगर आज कोई दुनिया में चीन के मुकाबले में आंख से आंख मिलाकर खड़ा है तो हम खड़े हैं।"
सीमा पर इतनी संख्या में क्यों सैनिकों को भेजना पड़ा
जयशंकर ने बताया कि भारत को अचानक 70 हजार सैनिकों को सीमा पर क्यों भेजना पड़ा. उन्होंने कहा- " 2020 में हमारे यहां कोविड के कारण लॉ़कडाउन चल रहा था। चीन ने 1993 और 1996 के समझौतों का उल्लंघन करते हुए एलएसी पर अपनी सेना तैनात करनी शुरू कर दी. इन दोनों समझौतों में साफ लिखा था कि दोनों देशों की सेनाए्ं वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास अपनी सेनाएं तैनात नहीं करेंगी. और अगर तैनात करेगी तो पहले बताना पड़ेगा. ये 30 साल पुराने समझौते हैं जो नरसिम्हाराव की सरकार के समय हुए थे. उन समझौतों में कोई गलती नहीं है. लेकिन चीनियों ने उनका उल्लंघन किया और तब किया जब कोविड चल रहा था.अब हो सकता कि उनके मन में रहा हो कि कोविड के कारण हम अपनी सेना का काउंटर डिप्लॉयमेंट नहीं कर पाएंगे. तो अप्रैल-जून 2020 में मोदी जी ने तय किया कि अगर हमें चीन से कोई खतरा है तो हमें काउंटर डिप्लॉय करना चाहिए. उन्होंने उस समय पूरी एयर फोर्स और हमारे रेल सिस्टम और रोड सिस्टम की ताकत लगाई. अकेली एयरफोर्स से हमने 70,000 जवानों को एयरलिफ्ट कराया। हमने टैंक को भी एयरलिफ्ट किया। हमने बड़े बड़े गन, ट्रक सब भेजे, उस समय अप्रैल के समय में भी बर्फ होती है. मोदीजी के आने से पहले हमारे बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर पर कोई ध्यान ही नहीं दे रहा था। उस समय यूपीए के सरकार के समय ऑन रिकॉर्ड कहा गया कि अगर आप बॉर्डर को ऐसे ही छोड़ दें तो चीन भी नहीं आ पायेगा। ये उनकी सोच थी। पिछले दस साल में ब़ॉर्डर इन्फ्रास्ट्रक्चर पर दो गुना-तीन गुना काम हुआ है. अगर लोगों को ज़मीन की इतनी फिक्र है तो जो 38 हजार वर्ग किलोमीटर जमीन जिस पर चीन ने 1962 में कब्जा किया, तो उन्हें उनकी तब चिंता करनी चाहिए थी. अगर मैं ओलंपिक देखने चीन जाऊं, तो मुझे जमीन पर बात तो करनी चाहिए थी। अब मुझे पता नहीं कि जमीन को लेकर बात की या नहीं." 2008 में बीजिंग ओलंपिक देखने के लिए सोनिया गांधी और राहुल गांधी चीन गये थे. विदेश मंत्री का इशारा उस ओर था.
1962 में 38 हजार किमी जमीन चली गई
जब रजत शर्मा ने कहा कि राहुल गांधी पिछले दिनों लद्दाख में पैंगांग लेक गये थे और कहा था कि हमारी कई हजार किलोमीटर जमीन पर चीन ने कब्जा कर लिया है, तो जयशंकर का जवाब था - ये अच्छी बात है कि वो पांगोंग-लेक गए और जो जमीन उन्होंने दूर से देखी, इसका मैं आपको इतिहास बताता हूं। 1959 में चीनी आए और 1959 और 1962 के बीच में तीन साल में उन्होंने उस इलाके पर कब्जा कर लिया था. 1962 में एक बहुत मशहूर जगह है खुरनाक फोर्ट पर भी उन्होंने कब्जा कर लिया. ये इलाका 1962 में गया, तो हमें सबसे पहले सोचना चाहिए कि अगर भारत की 38,000 वर्ग किलोमीटर जमीन गई, तो वह 1962 में गई.
रजत शर्मा - राहुल जी कह रहे थे, उन्होंने एक बार आपसे बात की थी चीन पर, वो कह रहे थे कि जयशंकर जी को कुछ समझ नही है चीन के बारे में.
जयशंकर-" अब मैं क्या कहूं? या तो मैं समझा लेता या अब जो बात मैं समझा नहीं सकता... या तो समझाने वाले में कमी है या समझने वाले में कमी? अब हो सकता है कि कसूर मेरा हो. मैं मानता हूं. हो सकता है कि वो बहुत ज्ञानी, चतुर आदमी हैं."
रजत शर्मा- लेकिन आप तो काफी समय रहे हैं चीन में ?
जयशंकर- मैं करीब साढ़े चार साल राजदूत था। वहां अभी तक मेरा रिकॉर्ड सबसे लंबा है।
रजत शर्मा- तो भी आपको चीन समझ नहीं आया?
जयशंकर- "हो सकता कि वो साढ़े चार साल मैं उनके साथ बिता लेता तो समझ आ जाता. "
चीन क्यों बार बार सीमा पर शरारत करता है?
ये पूछे जाने पर कि चीन क्यों बार बार सीमा पर शरारत करता है, विदेश मंत्री का जवाब था - "ऐसा है कि हमारे आपस में सीमा को लेकर विवाद है. पर मेरे लिए जो चिंता का विषय है, मैं कहूंगा कि मैं सोचता हूं कि कहीं इसमें रणनीति भी है, कि जब समझौते हो चुके थे 1993 और 1996 में, तो उन समझौतों के तहत चीन को सीमा के पास अपनी सेना की तैनाती नहीं करना चाहिए था. और अगर उन्होंने जानबूझ कर इनका उल्लंघन किया और ये जानबूझ के किया. क्योंकि गलतियां अगर होती हैं तो सौ या ज्यादा से ज्यादा 1000 बार होती हैं, लेकिन 10 हजार गलतियां नहीं हो सकती. इसके पीछे का प्लान होता है, कोई आर्डर होता है. तो जब उन्होंने इसका उल्लंघन किया उसका मतलब है कि उनके मन में है कहीं कोई दबाव डालने का था और दबाव का उत्तर यही है कि हमें उसका मुकाबला करना है."
हाल ही में चीन द्वारा अपने सरकारी मानचित्र में अरुणाचल प्रदेश को अपना इलाका दिखाये जाने पर विदेश मंत्री का कहना था - पूरे अरुणाचल प्रदेश के बारे में उनकी नीति ठीक नहीं है, मैप को छोड़िए आप. मैप तो हमें बिल्कुल नामंजूर है क्योंकि जमीन तो हमारा है, उन्होंने कुछ अपने नाम दिए हैं. जमीन तो हमारी है. बात ये है कि आज जो गुमराह किया जा रहा है कि जो घटनाएं 1962 में हुई थीं, उसका कसूर एक तरीके से हम पर थोपने की कोशिश हो रही है .
राहुल गांधी और चीन
ब्रसेल्स में कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा ये कहे जाने पर कि चीन के पास एक विज़न है और मोदी के पास विज़न नहीं है, विदेश मंत्री ने कहा - " एक तो समय देखें, भारत में हमारे इतिहास का सबसे बड़ा सम्मेलन जब हो रहा था, उस समय हम सबको मिलजुल कर उसकी सराहना करनी चाहिए थी, उस समय आप बाहर जाकर उसकी आलोचना कर रहे हैं. पर मैं कहूंगा कि कभी न कभी आप गलती से अपनी असली पोजीशन प्रकट कर देते हैं। जैसे Belt and Road चीन का बहुत बड़ा कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट है, अब ये Belt and Road की प्रशंसा करते हैं। अब वही Belt and Road पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर जाता है. जब आप belt and road की बात करते हैं आपके मुंह से दो शब्द नहीं निकलते कि भई, ये हमारे क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन है. इससे आपकी अंदर की भावना निकल आती है."
जयशंकर ने 2017 की घटना की याद दिलाते हुए कहा - "आप जानते होंगे 2017 की घटना है. उस समय डोकलाम में तनाव चल रहा था. हमारी सेनाएं आमने सामने थी. उस समय उनकी (राहुल की) एक मीटिंग हुई थी चीन के राजदूत के साथ. और हम लोग हैरान थे कि भई, भारत की फौज चीन के बिल्कुल आमने सामने खड़ी है. अगर आपको ब्रीफिंग चाहिए तो हमें बुला लेते. उस समय मैं राजनीति में नहीं था, मैं विदेश सचिव था.हम आपको बता देते कि हो क्या रहा है। आपको चीनी राजदूत से ब्रीफिंग लेने की क्या जरूरत थी, तो अब हर आदमी का अपना कहीं न कही हिसाब होता है."
पीएम मोदी और जी20
विदेश मंत्री ने कहा कि दुनिया के कई देशों के नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपनी किस्म का रोल मॉडल समझने लगे हैं. इटली की पीएम जियोजियो मेलोनी ने मोदी को most loved leader of the world कहा था. जयशंकर ने कहा - " बहुत सारे ऐसे देश हैं और बहुत सारे ऐसे लीडर्स हैं जिनके लिए मोदी जी आज एक किस्म से रोल मॉडल बन चुके हैं. उन्हें लगता है कि मोदी बहुत निर्णायक नेता हैं, बहुत साहसी हैं,बड़ी बड़ी चुनौती आए तो भी वो उसका मुकाबला करते हैं, उनकी बड़ी सोच है."
रजत शर्मा - ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने तो कहा, मोदी इज़ द बॉस, तो क्या डायलॉग मारा होगा मोदी जी ने, जो उन्होंने कह दिया की मोदी इज़ द बॉस ?
जयशंकर: "डायलॉग नहीं मारा मोदी जी, अपने डायलॉग को एक किस्म से रेडिएट करते है, जब वो आते हैं, आपको नहीं लगता कि he is the boss?"
ये पूछे जाने पर कि राजघाट में महात्मा गांधी की समाधि पर जी20 देशों के नेताओं को ले जाने का आइडिया किसका था, जयशंकर का जवाब था कि ये आइडिया तो प्रधानमंत्री मोदी का ही था. विदेश मंत्री ने कहा - " ये मोदी जी का आईडिया था, क्योंकि गाँधी जी एक तरह से दुनिया के सबसे iconic figure हैं, तो जब ये नेता भारत आये तो तय हुआ कि सब लोग श्रद्धांजलि देने वहां जाएं. मुझे लगा ये बहुत ही नेचुरल चीज़ है और उनको भी लगा . और मैं कहूंगा कि बहुत से लोगों ने इसकी बहुत सराहना की। वहां जाकर इमोशनल फील हुआ. जी20 के तीसरे सेशन में बहुत से नेताओं ने इसका जिक्र किया. "